बरेली । इलाज कराने और कर्ज चुकाने के लिए 42 हजार में बच्चे को बेचने का मामला उजागर हुआ है। इससे सरकारी मशीनरी हरकत में आ गई। डीएम के निर्देश पर नवाबगंज के एसडीएम कुंवर पंकज और सीओ पीतमपाल सिंह हाफिजगंज गांव खोह ढकिया में हरस्वरूप के घर पहुंचे और पूरी जानकारी ली। अधिकारियों का दावा है कि हरस्वरूप ने बेटे को बेचा नहीं, बल्कि गोद दिया।
डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने एसडीएम को आदेश दिया है कि बच्चे को ढूंढ कर लाया जाए और साथ ही डीएम ने बच्चे के पिता को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया है। साथ में यह भी आश्वासन दिया है कि महिला का राशन कार्ड बनवाया जाएगा और मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।
गांव खोह ढकिया निवासी हरस्वरूप उसकी पत्नी अपने दो बच्चों के साथ गांव में रहता है। उत्तराखंड के खटीमा में मजदूरी के दौरान दीवार ढहने से उसके दोनों पैर खराब हो गए। तब से वह बिस्तर पर है। इस कारण उसका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। रविवार को उसने मीडिया के सामने परिवार का खर्च और कर्ज के बोझ उतारने के लिए बेटे को 42 हजार रुपये में बेचने की बात कही थी।
सूत्रों के मुताबिक डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने नवाबगंज एसडीएम से पूरे मामले की रिपोर्ट मंगलवार दोपहर तक देने को कहा है। वहीं, बहेड़ी के एसडीएम व सीओ को बच्चा लेने वाले व्यक्ति की जानकारी कर बच्चे को बरामद करने और उसे हरस्वरूप के परिवार को सौंपने के निर्देश दिए।
हरस्वरूप के पैर काम नहीं कर रहे हैं। उसकी सर्जरी होनी है। एसडीएम ने बताया कि हरस्वरूप को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सर्जरी के लिए स्टीमेट बनवाया जाएगा। मुख्यमंत्री राहत कोष से पीड़ित की मदद की जाएगी। लखनऊ में ऑपरेशन कराया जाएगा।