नई दिल्ली। देश में बंद हो चुके 500-1000 रुपए के पुराने नोटों से हार्ड बोर्ड बनाए जा रहे हैं। सरकार ने बड़े पैमाने पर एकत्र नोटों को ठिकाने लगाने के लिए यह निर्णय लिया है। रद्दी हो चुके इन पुराने नोटों से बने हार्ड बोर्ड का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका में किया जाएगा।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड जिसका मुख्यालय केरल में है, के साथ एक करार किया है। कंपनी इन पुराने रद्दी हो चुके नोटों को लुग्दी में बदलकर इसे वुड पल्प के साथ मिलाकर हार्डबोर्ड बना रही है। खास बात यह है कि साउथ अफ्रीका में 2019 में आम चुनाव होने हैं । चुनाव प्रचार में इन हार्डबोर्ड का इस्तेमाल होर्डिंग और प्लेकार्ड के रूप में किया जाएगा।
नोटबन्दी के बाद रिजर्व बैंक में रद्दी हो चुके नोटों के ढेर लग गया। रिजर्व बैंक के सामने परेशानी यह खड़ी हुई कि इन नोटों का निस्तारण कैसे किया जाए। क्योंकि यदि इन्हें जलाते तो इसे वातावरण प्रदूषित होता क्योंकि ये नोट एक विशेष तरह के कागज से बनाए जाते हैं।
इस पर तिरुवनंतपुरम स्थित रिजर्व बैंक ने वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड से संपर्क किया। वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड के जनरल मैनेजर टीएम बावा के अनुसार कम्पनी ने रिजर्व बैंक को कुछ सैंपल भेजने के लिए कहा। उसके बाद कम्पनी की रिसर्च एंड डवलपमेंट विंग ने ऐसी पद्धति की खोज की जिसमें इन नोटों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
वेस्टर्न इंडिया का दावा है कि भारत में केवल उनकी कंपनी अकेली ऐसी है जिसके पास बंद हुए नोटों को रिसाइकिल करने की टैक्नोलॉजी है।
128 रुपए प्रति टन के भाव बिके नोट
नोटबंदी के बाद से अब तक कंपनी ने आरबीआई से 750 टन नोट खरीदे हैं। कंपनी ने आरबीआई से इन नोटों को 128 रुपए प्रति टन के हिसाब से खरीदा है।