नई दिल्ली। गर्भपात के लिए किसी महिला को अपने पति की सहमति की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक तलाकशुदा व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी बालिग महिला को बच्चे को जन्म देने और गर्भपात कराने का फैसला लेने का अधिकार है। इस दौरान जरूरी नहीं कि महिला को इसके लिए पति की सहमति लेना जरूरी हो।
पूर्व पति ने लगाए थे आरोप
पति ने अपनी याचिका में पूर्व पत्नी के साथ महिला के माता-पिता, भाई और दो डॉक्टरों पर भी ‘अवैध’ गर्भपात का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने बिना उसकी सहमति के गर्भपात कराए जाने पर आपत्ति दर्ज की थी। जिस पर अमुक व्यक्ति को आपत्ति थी कि पत्नी ने इतने महत्वपूर्ण फैसले में उसकी राय नहीं ली। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला के हक में फैसला दिया है।
मालूम हो कि पति और पत्नी पिछले काफी समय से अलग रह रहे हैं। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए महिला का गर्भपात कराने का फैसला कानूनन सही है। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की याचिका ठुकराते हुए कहा था कि गर्भपात का फैसला पूरी तरह से महिला का हो सकता है।