औरंगाबाद। बैंक यानी नोट ही नोट। मगर हम ऐसे बैंक का जिक्र कर रहे हैं जहां रोटियां ही रोटियां हैं। औरंगाबाद में एक ऐसे रोटी बैंक की शुरुआत हुई है जहां लोग रोटी जमा करते हैं और गरीब लोग वहां से मिली रोटी से अपना पेट भरते हैं। यह रोटी एकदम ताजी होती है। यहां रोटी के अलावा वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन डिशेज भी मिलती हैं।
उत्तर प्रदेश में 5 दिसंबर को रोटी बैंक की शुरुआत की गई थी। यह देश का पहला रोटी बैंक है। इसके बाद झारखंड में भी इस तरह के बैंक की शुरुआत की गई। अब महाराष्ट्र के औरंगाबाद में खुला यह रोटी बैंक भारत का तीसरा ऐसा बैंक है।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में देश के पहले रोटी बैंक की शुरुआत करने वाले हरून मुक्ति इस्लामिक सेंटर के फाउंडर युसुफ मुक्ति बताते हैं कि उन्होंने सालों से गरीबों को सड़कों पर भीख मांगकर खाते देखा है। इससे आहत होकर उन्होंने सोचा क्यों न ऐसा कुछ किया जाए कि ऐसा इन गरीबों को भीख न मांगनी पड़े और दो वक्त की रोटी मिल सके।
उन्होंने अपने रोटी बैंक के इस विचार पर अपनी पत्नी कौसर और चार बहनों से बात की। इसके बाद 5 दिसंबर को इस बैंक की स्थापना की गई। स्थापना के साथ ही इसे लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला। इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पहले दिन से ही इस बैंक में 250 लोग रोटी देने के लिए तैयार हो गए।
यूं बनिए मेंबर
रोटी बैंक में रोटी देने के लिए एक साधारण फॉर्म भरना होता है। इसके बाद रोटी बैंक की तरफ से रोटी देने वाले को एक डिपोजिटर कोड दिया जाता है। फॉर्म में लिखा होता है कि मेंबर को कम से कम दो फ्रेश रोटी और घर में बने सब्जी का कुछ हिस्सा रोज रोटी बैंक में डिपोजिट करना होगा।
यूं होती हैं एकत्र
सुबह 11 बजे से लेकर रात के 11 बजे तक यह बैंक खुला रहता है। इस दौरान लोग रोटी देने भी आते हैं और गरीब खाना लेने भी आते हैं। बैंक डिपोटिजर्स को स्पेशल कैरी बैग देता है जिस पर कोड नंबर लिखा होता है। इससे खाने की ताजगी को चेक करने में आसानी होती है। शादियों में बचे खाने को भी यहां भेजा जाता है। इसके लिए रोटी बैंक द्वारा वेडिंग प्लानर्स को भी जोड़ा गया है। यही नहीं कुछ बड़े रेस्टॉरेंट भी रोटी बैंक से जुड़ गए हैं। जो अपने बचे खाने को यहां डिपोजिट करते हैं।
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