नई दिल्ली। स्वामी विवेकानंद के शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में दिए संबोधन के 125 वर्ष पूरे होने के मौके पर सोमवार को विज्ञान भवन में समारोह आयोजित किया गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि 125 साल पहले भी एक 9/11 हुआ था, जहां विवेकानंद ने हिन्दुस्तान के प्रति दुनिया का नजरिया बदला, उन्होंने विश्व को रास्ता दिखाया। विवेकानंद ने लोगों को संदेश दिया कि जनसेवा ही प्रभु सेवा है। स्वामीजी के विचारों से प्रभावित होकर सिस्टर निवेदिता भारत आई थीं और उन्होंने अपना सारा जीवन मानवता के लिए समर्पित कर दिया।
पहले शौचालय और फिर देवालय
मोदी ने कहा, जब मैंने बोला, पहले शौचालय और फिर देवालय तो बहुत से लोगों ने मेरे बाल खींच लिए, लेकिन आज मुझे गर्व है कि देश में ऐसी लड़कियां हैं जो कहती हैं कि शौचालय नहीं तो शादी नहीं। उन्होंने कहा कि क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है ? हम धरती पर कचरा फेंके और वंदे मातरम बोलें ? क्या धरती को गंदी करने करने वाले लोगों को वंदे मातरम कहने का हक है ? इस पर सबसे पहला हक सफाई कर्मचारियों का है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि क्या हम महिलाओं का सम्मान करते हैं? क्या लड़कियों के प्रति आदर भाव से देखते हैं, जो करते हैं उन्हें मैं सौ बार नमन करता हूं। विवेकानंद सिर्फ उपदेश देने वाले नहीं थे, उन्होंने आइडिया को क्रियान्वित भी किया। रामकिशन मिशन का जिस उद्देश्य से जन्म हुआ, यह आंदोलन आज भी उसी भाव से चल रहा है।
विवेकानंद ने अपनी वाणी से लोगों को अभिभूत कर दिया था, वरना हमारे देश के बारे में कहा जाता था कि यह तो सांप-सपेरों का देश है। एकादशी को क्या खाना है और क्या नहीं खाना, यही सोचा जाता था। विवेकानंद ने बताया कि हम यह नहीं हैं, यह सिर्फ हमारी व्यवस्था का हिस्सा है। अरे हमारे यहां तो भीख मांगने वाला भी तपो ज्ञान से भरा होता है, वह कहता है जो न दे उसका भी भला, जो दे उसका भी भला।