जयपुर। राजधानी में शनिवार को चारों थाना क्षेत्रों ने हालात नियंत्रण में बताए गए हैं। ड्रोन कैमरे से संवेदनशील इलाकों पर नजर रखी जा रही है। बीती रात हुए बवाल के पीछे पुलिस खुद जिम्मेदार रही। चारदीवारी क्षेत्र के रामगंज थाना इलाके में पुलिसकर्मी की लाठी से चलते वाहन पर पीछे बैठी महिला के चोट आने के बाद समुदाय विशेष के लोग उग्र हो गए थे। मामले में एफआईआर कराने महिला के साथ पहुंची भारी भीड़ ने थाने को घेर हमला कर दिया था। भीड़ ने एक दर्जन से अधिक वाहनों को आग लगा दी। पत्रकारों से मारपीट कर कैमरे तोड़ दिए।
पुलिस को बेकाबू हुई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग करनी पड़ी। इसके चलते गंगापोल निवासी युवक आदिल पुत्र अब्दुल हमीद की मौत हो गई। वहीं आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी भी घायल हो गए, जिन्हें एसएमएस अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें विकास नामक कांस्टेबल की हालत ज्यादा खराब है। चार थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ गया। साथ ही इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है। शनिवार को हालात नियंत्रण में हैं। पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह शेखावत ने कहा कि कानून तोड़ने का अधिकार किसी को नहीं है। उपद्रवियों व कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। उपद्रव के पीछे जो भी कारण रहे हों उनकी जांच कराई जाएगी। कमिश्नरेट से समय-समय पर अपडेट लिया जा रहा है।
रात नौ बजे लुहारों के खुर्रा निवासी महिला हरशी अपने पति साजिद के साथ रामगंज चौपड़ से मोटरसाइकिल से अपने घर जा रही थी। इसी दौरान पुलिस कर्मी रामगंज चौपड़ पर रात को लगने वाले चाय इत्यादि के ठेलों और यहां जमा भीड़ को हटा रहे थे। तभी एक पुलिसकर्मी का डंडा हरशी के लग गया और उसे कुछ चोट आई। इस दौरान पुलिस कर्मी और महिला व उसके पति साजिद का विवाद हो गया।
बाद में दम्पती अपने समुदाय के लोगों की भीड़ साथ माणक चौक थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे। जहां भीड़ उपद्रव पर उतर आई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने 50 राउण्ड फायर किए।
खास बात यह है कि अगर पुलिस घटना की शुरुआत में ही महिला से माफी मांगकर मामले को शांत कर देती तो लोगों में आक्रोश नहीं पनपता। पुलिसकर्मी के एक डंडे ने जयपुर को उपद्रव की आग में झोंक दिया।