नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को चंडीगढ़़ लीगल सर्विस अथॉरिटी को 10 साल की दुष्कर्म पीड़िता को 10 लाख रुपए जारी करने का निर्देश दिया है। इनमें 1 लाख तत्काल व 9 लाख रुपए की एफडी कराई जाएगी। पीड़ित ने एक बच्ची को जन्म दिया है।
सीएलएसए को एक लाख रुपए पीड़ित को देने का निर्देश देते हुए न्यायाधीश मदन बी. लोकुर व न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने कहा कि बाकी के नौ लाख रुपए फिक्स डिपाजिट में रहेंगे।
नाबालिग लड़की ने 17 अगस्त को एक बच्ची को जन्म दिया, जन्म के समय नवजात बच्ची का वजन करीब ढाई किलो था।
अदालत ने सीएलएसए की एक रिपोर्ट के बाद एक लाख रुपए जारी करने का निर्देश दिया। रिपोर्ट में कहा गया था कि पीड़िता को अगले छह महीने के लिए विशेष आहार की जरूरत है। अदालत ने कहा कि पीड़ित के मां-बाप किसी भी सहयोग के लिए सीएलएसए से संपर्क कर सकते हैं।
अदालत ने कहा कि मेडिकल देखरेख, काउंसलिंग व दूसरी सुविधाओं सहित सभी जरूरतें पीड़ित को निशुल्क दी जाएंगी। अदालत ने अस्पताल के अधिकारियों को पीड़िता का मेडिकल रिकॉर्ड सील रखे जाने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि पीड़ित को काउंसलिंग उसके घर पर दिया जाए, जब तक कि उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं हो।
अदालत ने पीड़िता, नवजात बच्ची, पीड़ित के माता-पिता व उनके कार्यस्थल व निवास की पहचान को गुप्त रखने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि किसी भी तरह के उल्लंघन को अदालत की अवमानना मानकर कार्यवाही की जाएगी।