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मृत्युभोज के खिलाफ डटे ये लड़ाके

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टोंक के सामाजिक कार्यकर्ता सत्यनारायण नामा की अनुकरणीय पहल
टोंक। इस व्यस्ततम जीवन में कोई समाज और समाज की आने वाली पीढिय़ों के लिए सोचता है….कुछ करता है वह ना केवल प्रशंसा का पात्र है बल्कि दूसरे लोगों के लिए प्रेरक भी होता है। समाज में मृत्युभोज के खिलाफ बरसों से अलख जगा रहे ऐसे ही विरले हैं टोंक निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार सत्यनारायण।
सोच को सलाम
समाज के विभिन्न मंचों से वे खुलकर मृत्युभोज जैसी कुरीति के खिलाफ आवाज उठाते आए हैं। उनकी सोच है कि मृत्युभोज ना केवल नामदेव समाज बल्कि अन्य सभी समाजों के लिए घातक है। केवल दिखावे या समाज के डर से लोग यह कुरीति निभाते आए हैं। सच तो यह है कि इस कुरीति के कारण कई परिवार आर्थिक संकट में फंस जाते हैं। उन्हें कर्ज तक लेना पड़ता है। किसी के परिवार का कोई सदस्य इस दुनिया से विदा हो गया। इस दु:ख की घड़ी में वह मातम मनाने से ज्यादा इस बात को लेकर चिंतित हो जाता है कि अब मृत्युभोज के लिए रुपयों का इंतजाम कैसे करेगा। यह स्थिति शर्मनाक है। लोगों को बिना किसी दबाव में आए मृत्युभोज को खारिज करना होगा। ऐसा करके वह अपने परिवार का भविष्य बनाने के साथ ही पूरे समाज का भी भला करेगा।
अपनी इसी सोच को सच करके दिखाने में जुटे हैं सत्यनारायण नामा। इसके लिए उन्होंने विभिन्न समाजों के जागरूक लोगों की सहभागिता से मृत्युभोज के खिलाफ पम्फ्लेट छपवाकर बंटवाए।
मृत्युभोज के खिलाफ संगोष्ठी आयोजित
मृत्युभोज के खिलाफ समाज में अलख जगा रहे टोंक निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार सत्यनारायण ने अपने पिता स्व. रामनारायण नामा (गोठरवाल) की पुण्यतिथि अनोखे तरीके से मनाई। उन्होंने पुण्यतिथि के मौके पर मृत्युभोज  सहित अन्य कुरीतियों के खिलाफ संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें वक्ताओं ने ना केवल नामदेव समाज बल्कि सभी समाजों से कुरीतियों के खात्मे का आह्वान किया।

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संगोष्ठी का आयोजन विगत 19 दिसम्बर को टोंक में चतुर्भुज तालाब के पास स्थित नामदेव भवन में किया गया। इसके मुख्य अतिथि रामद्वारा व्यासपीठ के संत रामनिवास महाराज थे जबकि अध्यक्षता नामदेव समाज के संरक्षक डॉ.जे.सी.गहलोत ने की। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि आरएससए के जिला संघचालक डॉ.रामेश्वर प्रसाद शर्मा, सेवानिवृत्त सीएमएचओ डॉ.गोपाल सैनी, संत नामदेव भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष रामबाबू नामा, सेवानिवृत्त कार्यालय अधीक्षक कलेक्ट्रेट जुगल किशोर शर्मा व सेवानिवृत्त राधेश्याम नामा (बाबा) थे।
संगोष्ठी में उपरोक्त अतिथियों समेत जगमोहन जाजू, सूरजमल नामा (पेंटर साहब), व्याख्याता डॉ. राधेश्याम जगरवाल आदि वक्तओं ने मृत्युभोज को विकसित समाज के लिए कलंक बताते हुए इसके नुकसान बताए। उन्होंने सभी समाजों से मृत्युभोज, बाल विवाह आदि कुरीतियां छोडऩे की अपील की। उन्होंने कहा कि मृत्युभोज को बंद करना आज की आवश्कता है। इससे आर्थिक बोझ से दबे लोगों को राहत मिली है। कोई भले ही कुछ कहे, इसकी परवाह किए बगैर मृत्युभोज की खिलाफत करनी चाहिए। अतिथियों ने संगोष्ठी आयोजन के लिए सत्यनारायण नामा की सोच को सलाम करते हुए मृत्युभोज के खिलाफ ऐसे आयोजनों की जरूरत बताई।
संगोष्ठी में नामदेव समाज समेत अन्य समाज के लोग उपस्थित थे।  आयोजक नामा ने अतिथियों व अन्य आगंतुकों का धन्यवाद अदा किया। संगोष्ठी का संचालन तुलसीदास जायसवाल ने किया।

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सम्मान भी किया
संगोष्ठी में सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले समाजसेवियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
इनमें बद्री प्रसाद नामा को अपनी धर्मपत्नी के देहांत पर मृत्युभोज नहीं करने के कारण, डॉ.जे.सी.गहलोत को अपनी धर्मपत्नी के देहांत पर मृत्युभोज नहीं करने के कारण, राजेश कुमार नामा को अपने पिताजी के देहांत पर मृत्युभोज नहीं करने के कारण, महेश कुमार नामा को अपने पिताजी के देहांत पर मृत्युभोज नहीं करने के कारण, उमेश कुमार नामा को अपने पिताजी के निधन पर मृत्युभोज नहीं करने के कारण, रामबाबू नामा को संत नामदेव भवन मे अधिकतम आर्थिक सहयोग देने के कारण, रामलाल संडिला को गुर्जर समाज में मृत्युभोज उन्मूलन जागृति लाने के लिए, राजेश पारोचिया को वाल्मीकि समाज में मृत्युभोज उन्मूलन जागृति लाने के लिए, मदन लाल गुर्जर को योग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए व राधेश्याम शर्मा को योग शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के कारण सम्मानित किया गया।

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समाज ने भी कमर कसी
टोंक का नामदेव समाज भी मृत्युभोज के खिलाफ खुलकर कमर कस चुका है। टोंक जिला श्री नामदेव छीपा समाज हितकारिणी सभा के पदाधिकारियों ने मृत्युभोज व अन्य कुरीतियों के खिलाफ पम्फ्लेट बंटवाए। ये पम्फ्लेट सत्यनारायण नामा ने अपने पिता की स्मृति में छपवाकर उपलब्ध कराए। इन पम्फ्लेट के माध्यम से नामदेव छीपा समाज के संरक्षक डॉ.जे.सी.गहलोत, नामदेव छीपा समाज मालपुरा के जिलाध्यक्ष महावीर नामा, प्रांतीय उपाध्यक्ष दुर्गालाल नामा, देवली के पत्रकार नौरतमल नामा, टोंक के डॉ.तेजकरण बौंल्या, कृषि उपज मंडी समिति मालपुरा की अध्यक्ष आशा नामा, धु्रवप्रसाद नामा, रामपाल खींची, नामदेव महिला मंडल अध्यक्ष संगीता नामा, रामनारायण नामा, पत्रकार बद्रीप्रसाद नामा, विष्णुकांत नामा, रम्मू नामदेव, उमेश नामा आदि ने नुक्ता प्रथा खत्म करने की अपील की है। साथ ही पम्फ्लेट में राजस्थान मृत्युभोज एक्ट 1960 की जानकारी दी गई है। पम्फ्लेट के जरिए बताया गया कि मृत्युभोज करना अपराध है और उसके लिए जुर्माने के साथ सजा का भी प्रावधान है।

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