गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्वाचन क्षेत्र गिरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल में दो दिन में 30 बच्चों सहित 48 मरीजों की मौत से हड़कम्प मच गया।
सभी की मौत ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से होना सामने आया है, हालांकि डॉक्टर दूसरे चिकित्सीय कारण बताया रहे हैं। शुक्रवार को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने जांच कमेटी गठित कर दी है। इस घटना से सरकार में हड़कम्प मच गया है।
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग वार्ड में गुरुवार रात 11.30 बजे से दूसरे दिन रात तक रुक-रुक कर ऑक्सीजन की सप्लाई हुई। पूरी रात मासूमों पर मौत का खतरा मंडराता रहा और अस्पताल प्रशासन चैन की नींद सोता रहा। हड़कंप तब मचा जब सुबह आइसीयू से शवों के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद अफसर हरकत में आए और ऑक्सीजन की कमी दूर करने के प्रयास में जुट गये। इसी के साथ मामले पर पर्दा डालने की कोशिशें भी शुरू हो गईं।
पत्र से खुली पोल
अस्पताल में पुष्पा सेल्स कंपनी द्वारा लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। कंपनी ने एक अगस्त को ही पत्र लिखकर ऑक्सीजन की सप्लाई न करने की चेतावनी दे दी थी। साथ ही पिछले बकाया का भुगतान करने के बाद ही कंपनी ने ऑक्सीजन सप्लाई करने की बात कही थी।
झूठ पे झूठ
10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन संयंत्र में लगे मीटर की रीडिंग सुबह 11 बजे ही 900 तक पहुंच चुकी थी जिससे गुरुवार की रात तक ही सप्लाई संभव थी। बाल रोग के विभागाध्यक्ष से अनुरोध किया गया कि मरीजों के हित को देखते हुए तत्काल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराएं। इसके बावजूद अधिकारी बेपरवाह रहे। शाम को जब प्राचार्य डा. राजीव मिश्र से बात की गई तो उन्होंने बताया कि फैजाबाद से ऑक्सीजन सिलेंडर से लदी गाड़ी गुरुवार को शाम पांच बजे चल चुकी है और वह देर शाम तक पहुंच जाएगी। लेकिन यह झूठ साबित हुआ।
रात करीब आठ बजे सौ बेड के इंसेफ्लाइटिस वार्ड के सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गई। आनन-फानन में वार्ड को लिक्विड ऑक्सीजन से जोड़ा गया जो थोड़ी ही बची थी। रात साढ़े ग्यारह बजते-बजते यह भी जवाब दे गया और मौत ने विभिन्न आईसीयू में भर्ती मरीजों को अपनी आगोश में लेना शुरू कर दिया।
पांच सदस्यीय कमेटी गठित
जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने बताया कि अपर आयुक्त प्रशासन के नेतृत्व में एडीएम सिटी, एडी हेल्थ, सीएमओ और सिटी मजिस्ट्रेट की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इससे शनिवार दोपहर तक रिपोर्ट मांगी है।