रियाद। आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। यह बात अब सभी को अच्छी तरीके से समझ लेनी चाहिए। आतंकवाद का नाग अब मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ यानी मक्का तक पहुंच चुका है।
वहां रमजान के पवित्र महीने के आखिर में ईदुल फितर के दिन मस्जिद-अल-हराम को उड़ाने की साजिश थी। गनीमत रही कि पुलिस ने वक्त रहते यह साजिश नाकाम कर दी, वरना यह पवित्र शहर इंसानी खून से लाल हो जाता। पुलिस से घबराकर आत्मघाती युवक ने खुद को ही उड़ा दिया।
गृह मंत्रालय को ईद पर आतंकी हमले की सूचना मिली थी। इस पर जेद्दा और मस्जिद-अल-हराम के समीप स्थित अजयाद-अल-मसाफी सहित मक्का में दो इलाकों में छापेमारी की गई।
इस छापेमारी के दौरान तीन मंजिला मकान में छिपे एक आत्मघाती हमलावर और पुलिस के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। आखिरकार पकड़े जाने के डर से हमलावर ने धमाके से खुद को उड़ा लिया।
तो होती बर्बादी
विस्फोट इतना जबरदस्त था कि वह पूरी इमारत ध्वस्त हो गई। अगर यही विस्फोट मस्जिद में होता तो कई लोग मारे जाते। बताया जाता है कि इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के पांच सदस्य तथा हज करने आए छह हाजी घायल हो गए हैं।