इस्लामाबाद। राजस्थान की माटी में जन्मे और फिर विभाजन के समय पाकिस्तान जाकर शहंशाह-ए-गजल बने मरहूम मेहदी हसन की कब्र दुर्दशा की शिकार हो रही है। वहां आसपास गटर का पानी जमा रहता है। बच्चे खेलते और बकरियां चराते हैं। इसके अलावा नशेडिय़ों का भी ठिकाना बन गई है।
अपनी अब्बा की कब्र की इस हालत से दु:खी होकर उनके बेटों ने अब भारत सरकार से मदद मांगी है। उन्हें यकीन है कि भारत मेहदी हसन का असली कद्रदान है।
दरअसल पांच साल पहले मेहदी हसन साहब का इंतेकाल होने के बाद पाकिस्तान सरकार ने उनका मजार और उनकी याद में संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी।
उनके बेटे आरिफ मेहदी ने बताया कि अभी तक सिर्फ कब्र के पास बाउंड्री बनी है। काम पूरा नहीं होने से कब्र की बेकद्री हो रही है। आसपास के हालात खराब हैं। हमने पांच साल इंतजार किया और तमाम दफ्तरों की खाक छानी। अब हम थक गए हैं और भारत सरकार से अपील करते हैं कि उनकी मजार बनाने में आर्थिक मदद करे।
झुंझुनूं में जन्मे थे
शहंशाह-ए-गजल मेहदी हसन का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूना गांव 1927 में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान जा बसा था। लंबी बीमारी से जूझने के बाद कराची के आगा खान अस्पताल में उन्होंने 13 जून 2012 को अंतिम सांस ली थी। आज भी उनकी गजलें दुनियाभर में उनके चाहने वालों के दिलो-दिमाग में छाई हुई हैं।