ग्वालियर। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश के हर घर में शौचालय बनवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केंद्र सरकार की इस ‘समझदारी’ पर सवाल उठा दिया है। उन्होंने साफ़ कहा कि देश में लोगों को पीने के लिए तो पानी नहीं मिल रहा है, शौचालय में बहाने के लिए कहां से लाएंगे।
यहां रविवार को पत्रकारों से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि कई जगह लोगों को पीने का पानी भी सप्ताह में तीन दिन मिल रहा है।
वर्तमान में शुद्ध पानी लोगों को नहीं मिल रहा है। आज जितना पानी पीने में लगता है, उतना ही शौचालय की सफाई में लगेगा। खुले में शौच अनिवार्य है, क्योंकि वर्तमान में पानी का संकट है।
उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर कहा कि हिन्दुओं को एक पत्नी के रहते दूसरी शादी से रोकते हैं। यही नियम सभी के लिए लागू कर दिया जाए।
राममंदिर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव की सरकार ने अयोध्या की 67 एकड़ जमीन का अधिगृहण कर लिया था। इसमें रामजन्म भूमि की जमीन भी शामिल है। इसको यदि दे दिया जाए तो किसी समझौते की जरूरत ही नहीं है।
उन्होंने किसान आंदोलन पर सरकार की ढिलाई को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि सरकार तब सुनती है, जबकि तोड़फोड़ हो जाए, आग लगने लगे, गोलियां चल जाएं और लोग मरने लगें। जबकि सरकार को पहले ही उनकी बात सुन लेनी चाहिए।
सरकार के पास गुप्तचर विभाग है। सभी संसाधन हैं तो फिर क्या दिक्कत है। यदि सरकार शांतिपूर्ण आंदोलन या संगठनों के प्रतिनिधियों की बात को गंभीरता से ले तो इस प्रकार की स्थिति ही उत्पन्न नहीं होगी।
वर्तमान में रासायनिक खाद एवं कीटनाशक से अन्न का उत्पादन किया जा रहा है।
इससे कैंसर सहित अन्य बीमारियां हो रही हैं। किसानों को फसल से महंगा बीज पड़ रहा है। इसके लिए उसे कर्ज लेना पड़ रहा है। कर्जमाफी समाधान नहीं है। सरकार कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाए, ताकि किसान को कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़े।
गौ हत्या पर तत्काल रोक लगाई जाए
शंकराचार्य ने गौ हत्या पर रोक की मांग करते हुए कहा कि विश्व में सबसे अधिक गौमांस का निर्यात भारत से हो रहा है। गाय यदि होगी तो गोबर के खाद से अनाज पैदा किया जा सकेगा। इससे यूरिया की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इस पर तत्काल रोक लगाना चाहिए।