नई दिल्ली। साधु से कारोबारी बने पतंजलि के प्रमुख कर्ता-धर्ता बाबा रामदेव ने अब सुर बदल लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुर से सुर मिलाने वाले बाबा रामदेव को GST से खतरा नजर आने लगा है।
उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं पर अधिक कर का विरोध करते कहा कि बिना सेहत किसी के अच्छे दिन कैसे आ सकते हैं?
पतंजलि आयुर्वेद लि. तथा पतंजलि योगपीठ के प्रवक्ता एस. के. तिजारावाला ने औपचारिक बयान में कहा कि आयुर्वेदिक श्रेणी पर उच्च जीएसटी दर से हमें अचंभा हुआ और यह हमारे लिये निराशाजनक तथा दु:खद है।
आयुर्वेद आम लोगों को सस्ती दर पर इलाज सुविधा उपलब्ध कराता है, यह सदियों से इलाज का परखा का हुआ जरिया है।
ऐसे में उच्च कर लगाना उपयुक्त नहीं है।
अच्छा स्वास्थ्य और स्वस्थ्य जीवन आम लोगों का मूल अधिकार है। इसके बिना कोई कैसे अच्छे दिन को महसूस कर सकता है।
यह भी विरोध में
उद्योग संगठन एसोसिएशन आफ मैनुफैक्चरर्स आफ आयुर्वेदिक मेडिसिन्स (एएमएएम) ने भी कहा कि एक तरफ जहां सरकार आक्रामक तरीके से वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा दे रही है। वहीं जीएसटी के तहत अधिक कर से कुदरती दवाएं महंगी होंगी तथा आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी।
एएमएएम के महासचिव प्रदीप मुलतानी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री आयुष को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रहे हैं, ऐसे में उक्त कदम दुर्भाग्यपूर्ण है।
इसी तरह डाबर इंडिया ने भी नए कर ढांचे को लेकर अप्रसन्नता जतायी है और कहा कि इसका आयुर्वेदिक दवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।