नई दिल्ली। अगर किसी बैंक ग्राहक के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी होती है तो बैंक अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। बैंकों की इसी जवाबदारी से जुड़ा एक अहम फैसला दिया है देश के सर्वोच्च उपभोक्ता आयोग ने।
एक मामले का निपटारा करते हुए शुक्रवार को आयोग ने कहा कि यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह ग्राहक के खाते से अवैध रूप से काटी गई रकम की शिकायत की जांच कराए।
आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिया कि वह डेबिट कार्ड धोखाधड़ी में 30,000 रुपए गंवाने वाले शख्स असम निवासी जेसीएस काटाकी को 23,000 रुपए बतौर मुआवजा लौटाएं।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग (एनसीडीआरसी) की पीठ ने असम राज्य आयोग के फैसले के खिलाफ एसबीआई द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
आयोग ने कहा कि यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह अवैध रूप से किसी ग्राहक के खाते से निकाली गई रकम की शिकायत मिलने पर मामले में पूरी जांच करे। ना कि पूरे प्रकरण से अपना पीछा छुड़ाए।
असम राज्य आयोग ने जिला फोरम के बैंक को भुगतान करने संबंधी आदेश को बरकरार रखा था।
एनसीडीआरसी ने बैंक को असम निवासी जेसीएस काटाकी को 23,000 रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।
एनसीडीआरसी ने कहा कि तथ्यों से यह साफ है कि बैंक ने मामले में किसी तरह की जांच की बात तो छोड़िये, मामले को देखने तक से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था।
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