जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमण्डल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में मुख्य सतर्कता आयुक्त तथा नियंत्रक.महालेखापरीक्षक से बुधवार को नई दिल्ली में मिलकर प्रदेश के खान आवंटन घोटाले के संदर्भ में विस्तृत जांच की मांग को लेकर ज्ञापन प्रस्तुत किया। पार्टी नेता मार्च के रूप में हाथ में तख्तियां लेकर इन अधिकारियों से मिलने पहुंचे।
पायलट के अनुसार ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि प्रदेश की भाजपा सरकार खान आवंटन मामले में हुई गंभीर अनियिमितता पर लीपापोती करना चाहती है।
खान आवंटन में उच्चतम न्यायालय के 12 अप्रेल 2012 के निर्देशों का खुल्ला उल्लंघन किया गया है तथा निहित स्वार्थों से प्रेरित होकर जिस दिन केन्द्र सरकार द्वारा नई खनन नीति को अधिसूचित किया गया उसी दिन अर्थात् 12 जनवरी 2015 को आनन फानन में 137 खानों का आवंटन राज्य सरकार द्वारा कर दिया गया। कुछ खानों के आवंटन में सभी स्वीकृतियां एक दिन में दे दी गई।
इस प्रकरण में एक लाख बीघा जमीन में हुए अनियिमित खान आवंटन के कारण राजकोष को लगभग 45000 करोड़ रूपयों का नुकसान हुआ है।
ज्ञापन के माध्यम से मुख्य सतर्कता आयुक्त के संज्ञान में यह तथ्य भी लाए गए कि केन्द्र सरकार ने 30 अक्टूबरए 2014 को देश के सभी राज्यों को परिपत्र जारी कर एक गाइड लाइन जारी की थी जिसके अनुसार भारत सरकार निकट भविष्य में एमएमडीआर एक्ट में माननीय उच्चतम न्यायालय की सलाह को ध्यान में रखते हुए संशोधन कर रही थी और राज्य सरकारें यदि इस बीच खान आवंटन करना चाहे तो खान का विवरण समाचार पत्र, सरकारी गजट व अन्य संचार माध्यम से सार्वजनिक करे और आवेदनों पर निर्णय से पूर्व भारत सरकार की अनुमति ले।
केन्द्र सरकार ने एक्ट के अध्यादेश का प्रारूप भी 16 नवम्बर को जारी कर दिया था जो प्रदेश की भाजपा सरकार को 18 नवम्बर को मिल गया था। इसके बावजूद राजस्थान सरकार ने 30 अक्टूबर, 2014 से 12 जनवरी, 2015 के बीच 653 खानें आवंटित कर दी और आवंटन में एक ही व्यक्ति और कम्पनी को 15 से 17 खानें तक दे दी।
उन्होंने बताया कि सरकार के स्तर पर खानों के आवंटन की समीक्षा हेतु जिस समिति का गठन किया गया है उसमें खनन विभाग के उन अधिकारियों को शामिल किया गया है जिन्होंने खान आवंटन में महत्ती भूमिका निभाई थी।
ऐसे में उस समिति के औचित्य पर ही प्रश्रचिन्ह लग गया है। कांग्रेस शुरू से ही सम्पूर्ण घोटाले की सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जॉंच की मांग कर रही है क्योंकि इतने बड़े घोटाले को अंजाम देने के लिए प्रशासन को राजनैतिक स्वीकृति प्राप्त थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार सम्पूर्ण अनियमितता में राजनैतिक उत्तरदायित्व को स्वीकार करने से बचना चाहती है।
प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्य सतर्कता आयुक्त एवं नियंत्रक.महालेखापरीक्षक से नई दिल्ली में मिलकर ज्ञापन प्रेषित कर प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा 653 खानों के आवंटन में राजनैतिक एवं प्रशासनिक स्तर पर की गई धांधली की विस्तृत जांच की मांग की है।
प्रतिनिधिमण्डल में पायलट के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी,एआईसीसी महासचिव मोहन प्रकाश, एआईसीसी सचिव एवं राजस्थान सहप्रभारी मिर्जा ईरशाद बेग, एआईसीसी कम्यूनिकेशन इंचार्ज रणदीपसिंह सुरजेवाला, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह, एआईसीसी सचिव ताराचंद भगौरा,हरीश चौधरी,जुबेर खान, सांसद अश्कअली टाक,नरेन्द्र बुढानिया, विधायक भंवरलाल शर्मा, प्रद्युम्रसिंह, महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, मेवाराम जैन,श्रवण कुमार, बृजेन्द्र सिंह ओला, गोविन्दसिंह डोटासरा,विश्वेन्द्रसिंह,गिरिराज सिंह मलिंगा, रमेश मीणा,राजेन्द्र यादव, भजनलाल जाटव, घनश्याम मेहर, दर्शन सिंह, धीरज गुर्जर, भंवरसिंह भाटी, शकुंतला रावत, रामनारायण गुर्जर, सुखराम विश्रोई, हीरालाल दरांगी तथा डॉ. राजकुमार शर्मा शामिल थे।