पेशावर। पाकिस्तान में करीब दो दशक बाद हो रही जनगणना से सिख समुदाय खासा नाराज हैं, क्योंकि जनगणना रजिस्टर में उनके लिए अलग से कॉलम नहीं बनाया गया है और दूसरे मजहबों की सूची में उन्हें जगह दी गई है।
अलग-थलग पड़े सिख समुदाय के लोग पेशावर में गत शनिवार से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। एक सिख प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमारे समुदाय को छोड़ दिया गया है। हम आहत हैं। हमने पेशावर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।”
विदित हो कि पाकिस्तान में पहले चरण की मतगणना हो रही है और कहा जा रहा है कि सिखों ने देर से यह मुद्दा उठाया है।
पहले पेशावर के जनगणना कार्यालय में गया कि फॉर्म में सिखों के लिए अलग से कॉलम है, लेकिन जब फॉर्म खोलकर देखा गया तो यह कॉलम नहीं था।
इस पर एक नौजवान सिख ने कहा, “1981 में जब जनगणना हुई थी तो हमारे बुजुर्गों को भी इसके बारे में जानकारी नहीं थी। इस बार भी हमें दो-तीन पहले इसके बारे में पता चला है।
उधर, याचिका पर सुनवाई करते हुए पेशावर उच्च न्यायालय ने कहा है कि दूसरे चरण की जनगणना में सिखों को शामिल किया जाए, लेकिन जनगणना का काम नहीं रोका जाए।
उल्लेखनीय है कि जनगणना में छोड़े जाने की शिकायत केवल सिखों की नहीं है। पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग नजरअंदाज किए जाने की शिकायत कर रहे हैं।