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शेर के बच्चे के साथ योगी के फोटो की क्या है सच्चाई

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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोद में निप्पल से दूध पीता शेर का बच्चा चर्चा का विषय बना हैं कोई इसे फेक फोटो बता रहा है तो कोई इसे वास्तविक करार रहा है।

योगी आदित्य नाथ

लेकिन योगी आदित्यनाथ के सहयोगी और गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह के जीजा कमलेश चंद तो कुछ और ही कह रहे है। वह खुद को योगी के हाथ में शेर का बच्चा लिए फोटो और घटना दोनों को सही ठहरा रहे हैं।

उनके मुताबिक बात वर्ष 2010 की है। योगी आदित्यनाथ बैंकाक गए थे। यहाँ इन्हें भगवान विष्णु के मंदिर में वार्षिकोत्सव में शिरकत करना था। कार्यक्रम के दौरान इन्हें एक बौद्ध संतों द्वारा स्थापित सफारी नामक पार्क के बारे में जानकारी दी गयी।

उस व्यक्ति ने योगी को पार्क की जानकारी इतनी रोचक ढंग से दी कि वे पार्क जाने से खुद को रोक नहीं पाए। अपने सहयोगी और गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह के जीजा कैप्टन कमलेश चंद को भी योगी साथ ले कर गए थे।

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दोनों पार्क के संदरी में खोए हुए थे कि एक शेर का बच्चा योगी की ओर दौड़ता आया और उन्होंने शेर के बच्चे को बिना किसी भय के अपनी गोद में उठाकर दुलारना शुरू कर दिया था। यह एक ऐसा क्षण था, जिसमे हर्ष और भय दोनों साथ-साथ थे, लेकिन योगी के चेहरे पर केवल संतोष दिख रहा था।

मानो किसी मां को उसका खोया हुआ बच्चा मिल गया हो और बच्चा अपनी मां को पाकर खुशियों की हिलोरें लेने में आनंदित हो रहा हो। इतना ही नहीं, योगी और शेर के इस बच्चे के बीच संकेतों में शुरू हुए बातचीत का सिलसिला आधे घंटे बाद ही खत्म हुआ था। इस घटना की चर्चा कर रहे कैप्टन की आंखें नम हो गईं थीं।

उन्हें इस बात का दुःख था कि जिस योगी को पशु भी प्रेम करते हैं, उसके इस वास्तविक फोटो को लेकर विरोधी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में सही और गलत की चर्चाएं हो रहीं हैं। उनका कहना है कि मैं खुद इस तस्वीर का गवाह हूं। यह बैंकाक के सफारी पार्क में वर्ष 2010 में लिया गया फोटो है।

क्या है सफारी पार्क

सफारी पार्क बौद्ध भिक्षुओं द्वारा स्थापित एक ऐसा पार्क है, जिसमे खूंखार जानवरों को पाला गया है। इन्हें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। ये खुद जिस पर्यटक के पास जाना चाहें, जा सकते हैं, लेकिन कोई पर्यटक इन्हें जबरन नहीं छू सकता है। ऐसी बाध्यता पशुओं की हिंसक प्रवृत्ति को देखकर भी की गयी है। इन्हें देखने के पूर्व पर्यटकों को बाकायदा इस तरह की जानकारी दी जाती है और पशुओं के पास आने पर घबराने या भागने की मनाही की जाती है।

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