देहरादून। धर्मग्रंथ सभी पंथों के आवश्यक अंग होते हैं लेकिन जब यही धर्मग्रंथ जीर्ण-शीर्ण और जर्जर होने लगते हैं तो इनके निस्तारण की समस्या होने लगती है। लोग इनको नदी में प्रवाह करते हैं लेकिन समय अभाव के कारण लोग अपने धर्म ग्रंथों को नालियों-कचरों में फेंक देते हैं जिससे इनका अपमान होता है।
अब वीरसावरकर मंच ने ऐसे धर्म ग्रंथों के निस्तारण का प्रयास करना प्रारंभ कर दिया है जो सम्मानजनक ढंग से इन धर्म ग्रंथ का समुचित निस्तारण करेंगे जिससे पवित्रता भी बनी रहे और धर्म ग्रंथों का अपमान भी न हो। अब तक संभवत: इस संदर्भ में किसी ने नहीं सोचा होगा लेकिन वीर सावरकर युवा संगठन ने इस संदर्भ में विशेष चिंता की है और इस अभियान में लगा हुआ है।
संगठन द्वारा इसी संदर्भ में प्रसिद्ध शिव मंदिर टपकेश्वर में पूजा अर्चना के साथ-साथ भंडारा और जागरण अभियान चलाया ताकि लोग अपने जीर्ण-शीर्ण धर्मग्रंथ सौंप दें ताकि वे उनका समुचित निस्तारण कर सकें।
संगठन का मानना है कि धर्म्रगंथ हमारे मार्गदर्शक होते हैं और अपने परिजनों की भांति इनका संस्कार किया जाना चाहिए। यह काम बहुत कठिन नहीं है लेकिन अमूमन लोग देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों एंव धर्मग्रंथो के जीर्ण-शीर्ण पन्नो को नालियों , कचरों में फेंककर अपने कर्तव्यों की इतश्री कर लेते हैं ।
इसीलिए वीर सावरकर युवा संगठन ने टपकेश्वर महादेव में एक संस्कार केन्द्र की स्थापना की है जहां विधि विधान पूर्वक इन धर्मग्रंथो मूर्तियों तथा प्रतीकों का विधिवत संस्कार किया जाएगा।
संस्था के संस्थापक कुलदीप स्वेडिया ने जनमानस से आग्रह किया है कि वह अपने धर्मग्रंथो, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों एवं प्रतीकों का अपमान न होने दे और टपकेश्वर स्थित संस्कार केन्द्र तक पहुंचा दे जहां उन्हें श्रद्धा के साथ भस्मींभूत किया जाएगा अथवा उनका संस्कार किया जाएगा ताकि हम अपने इन धर्मग्रंथो और व्यवस्थाओं को बनाए रखे और अपमानित होने से बचा सके।
इसी अवसर पर संस्कार केन्द्र के शुभारंभ के लिए यज्ञ हवन के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। संस्कार केन्द्र के स्थापना अवसर पर टपकेश्वर मंदिर के मंहत भरतगिरी, कुलदीप स्वेडिया, सुमन पंवार, छत्रपाल, पं.विनोद तिवारी, मनोज गर्ग, रोहित मोर्य, मुकेश बिष्ट, सुनील शाह समेत तमाम धर्मप्रेमी और संगठन के कार्यकर्ता उपस्थित थे।