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यह है शिक्षा मंत्री के स्कूल का शर्मनाक सच !

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नामदेव न्यूज डॉट कॉम

अजमेर। याद कीजिए जब हम छोटे थे…सुबह-सुबह कड़कड़ाती सर्दी में मुंह से धुआं निकालते हुए… धूजते हुए स्कूल जाते थे। माता-पिता पूरा ख्याल रखते थे कि बच्चे को कहीं सर्दी न लग जाए, इसके लिए स्कूल के स्वेटर के नीचे दूसरा स्वेटर पहनाना नहीं भूलते थे। अब हम भी अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखते है…उन्हें सर्दी से बचाने का पूरा जतन करते हैं, उन्हें वैन या कार में स्कूल छोड़ने जाते हैं ताकि रास्ते में बच्चों को ठंडी हवा न लगेे। स्कूल के कमरे में बच्चों को कहीं ठंड तो नहीं लगती, इसके लिए फिक्रमंद रहते हैं, इनर… स्वेटर…ब्लेजर, ना जाने क्या-क्या पहनाने को आतुर रहते हैं।

प्यार तो अपने बच्चों से किशनपुरा के भोलेभाले गांव वाले भी हमसे कम नहीं करते। उनके बच्चे भी उनके जिगर के टुकड़े हैं। मगर…अपने बच्चों को ठंड में ठिठुरते देख उनका मन जरूर कलपता होगा, उन्हें अपनी बेबसी और वसुंधरा राजे की कथित संवेदनशीलता का मलाल जरूर होता होगा। हो भी क्यों नहीं, खुद शिक्षा राज्यमंत्री के गृह जिले में जब सरकारी स्कूल के बच्चों को भरी सर्दी में नंगे फर्श पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही हो तो कौनसे माता-पिता ऐसे हैं जिनका मन नहीं रोता होगा।

ब्यावर शहर के पास किशनपुरा के इस सरकारी स्कूल में बच्चे घर से पन्नी ( पॉलीथिन ) लाना नहीं भूलते। उन्हें क्लास के नंगे और बर्फ की मानिंद ठंडे फर्श पर बैठना जो पड़ता है। अपने नीचे पन्नी बिछाकर वे सर्दी से ध्यान हटाने और पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करते हैं, मगर आप-हम महसूस कर सकते हैं कि पतली सी पन्नी भला इन मासूमों को क्या राहत पहुंचा सकती होगी। स्कूल में उनके बैठने के लिए दरी तक नहीं है, फर्नीचर की बात दूर है।
अब यह सरकार की गरीबी है या इन मासूम बच्चों का मुकद्दर, बहस का मुद्दा हो सकता है।

रही बात वोट की तो साहब वोट उस गरीब का भी उतना ही कीमती है जितना किसी अमीर का, चाहे गांव वाले का हो या फिर शहर वाले का। फिर गरीब के बच्चों के साथ ये जुल्म क्यों????
तीन दिन पहले गुरुवार को तहसीलदार योगेश अग्रवाल जब यहां निरीक्षण करने पहुंचे तो सर्दी में बच्चों को सर्द नंगे फर्श पर बैठा देखकर चौंक गए। तब यह हकीकत सामने आई।
शर्मनाक तो यह लगा कि खुद शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के अजमेर जिले में बच्चों को इन हालातों में अपना मुकद्दर संवारना पड़ रहा है। इन बच्चों…इनके अभिभावकों की मजबूरी ही है जो देवनानी जी के स्कूल में पढ़ रहे हैं!!!

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