देहरादून। उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों को जुमे की नमाज के लिए 90 मिनट की छुट्टी देकर हिंदूवादी संगठनों की तगड़ी नाराजगी मोल ले ली। जगह-जगह प्रदर्शनों ने उनकी दुनिया हिला दी है। उन्होंने हिन्दू कर्मचारियों को भी पूजा के लिए 4 घण्टे की छुट्टी की मांग कर डाली है।
बजरंग दल, दुर्गावाहिनी, विश्व हिन्दू परिषद जैसे सामाजिक संगठनों ने यहां जिलाधिकारी कार्यालय पर इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा।
जिलाधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन करते हुए बजरंग दल के विकास वर्मा ने कहा कि इससे समाज के एक बडे बहुसंख्यक वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं जबकि संविधान के अनुच्छेद 15 का खुला उल्लंघन भी हुआ है जिसके तहत राज्य जाति, धर्म, लिंग, वर्ण, आयु और निवास स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 25 अन्तःकरण के आधार पर धर्म को मानने की स्वतन्त्रता । अनुच्छेद 26 में माने गये धर्म के प्रबंधन करने की स्वतन्त्रता चल और अचल सम्पति के आधार पर इस तरह के फैसले देश व समाज विरोधी है और प्रदेश के मुखिया द्वारा इस तरह के फैसले लेना बडा दुर्भाग्य पूर्ण है।
उन्होंने जिलाधिकारी को सौपे ज्ञापन में कहा कि भविष्य में इस तरह से धर्म के आधार पर विशेष समाज के वोटबैंक को अपनाने के लिये किये गये इन आपत्तिजनक फैसलो पर तत्काल रोक लगे ।
भड़की शिवसेना
पूरे प्रदेश में शिव सैनिक भी भड़क उठे। प्रदेश उपाध्यक्ष रूपेन्द्र नागर आज यहां एक बयान में कहा कि हरीश रावत मुस्लिमों को खुश करने के लिये ऐसी घोषणायें कर रहे हैं जो प्रदेश में धर्मवाद व जातिवाद का जहर घोल रहे हैं। जिसका शिवसेना विरोध करती है और इस घोषणा को वापस लेने की मांग करती है।
उन्होंने सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि हिन्दू धर्म व हिन्दुओं की अनदेखी स्वीकार नहीं की जायेगी। 2017 के चुनाव में हिन्दू धर्म के साथ अन्याय का बदला जनता लेगी। नागर ने सोमवार को शिव पूजा व मंगलवार को हनुमान पूजा व आरती के लिये भी हिन्दू कर्मचारियों को 4 घण्टे की छुट्टी देने की मांग की है। शिवसेना नेता ने कहा कि पार्टी तुरंत जुमे की नमाज के लिए घोषित छुट्टी को रदद् करने की मांग की है।