जलपाईगुडी। देश में नोटबंदी से किस कदर अफरा-तफरी मची है, इसका उदाहरण यहां देखने को मिल रहा है। डुवार्स के विभिन्न चाय बागानों के श्रमिक नगदी की तलाश में भूटान जा रहे हैं। इसके चलते चाय उद्योग को नुकसान होने का अंदेशा दिख रहा है।
भारत-भूटान के सीमावर्ती क्षेत्र में काफी संख्या में चाय बागान हैं। श्रमिकों का कहना है कि चाय बागान मालिकों से उन्हें पैसा नहीं मिल रहा है। नोटबंदी का हवाला देते हुए बागान प्रबंधन वेतन नहीं दे रहा है। इसका सीधा असर उन पर पड रहा है। श्रमिकों का कहना है कि दैनिक रोजी- रोटी चलानेके लिए नगद राशि की जरूरत है। दुकानों पर बिना नगद राशि दिये सामान नहीं लाया जा सकता है।
विवश होकर 20 से 30 प्रतिशत मजदूर भूटान आना-जाना कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर श्रमिकों के इधर-उधर चले जाने से चाय बागान में चाय पत्ती की तुडाई का काम प्रभावित हुआ है। तुलनात्मक इन दिनों श्रमिकों की कमी हो गयी है। नगदी के अभाव में बाहर से भी श्रमिक यहां नहीं आ रहे हैं। समय पर चाय पत्ती नहीं तोडे जाने से पत्तियां खराब हो रही हैं। समय रहते समस्या का समाधान नहीं हुआ तो चाय उद्योग को काफी नुकसान होगा।
बानरहाट सांगठनिक ब्लॉक के एनयूपीडब्ल्यू नेता मोहम्मदशमीम, पीटीडबल्यू नेता महेश्वर माहाली ने कहा कि नोटबंदी के कारण बागान प्रबंधन पैसा नहीं दे पा रहा है। फिलहालश्रमिकों के हाथ में पैसा नहीं है। उनके पास और कोई दूसरा व्यवसाय नहीं है। यही कारण है कि नगदी की तलाश में वह दूसरे जगहों पर काम की तलाश में चले जा रहे हैं।
नागराकाटा ब्लॉक के केरन चाय बागान के उप मैनेजर प्रियव्रत भद्र ने कहा कि बैंक में पैसा पडा हुआ है, लेकिन पैसे की निकासी नहीं होने के कारण श्रमिकों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। बैंक जो पैसा दे रहा है, उसमें हमारे करने लायक कुछ नहीं है।
नगदी की तलाश में श्रमिक भूटान चले जा रहे हैं। श्रमिकों की कमी के चलते बागान में कच्चे पत्ती की तुडाई नहीं हो पा रहीहै। समय पर चाय पत्ता नहीं टूटने से वह खराब हो रहे हैं। ऐसा चलता रहा तो चाय उद्योग को नुकसान होगा।
डीबीआईटीएके सचिव सुमंत गुह ठाकुर ने कहा कि नोटबंदी से बागान को काफी नुकसान हुआ है। इसी सप्ताह जिला प्रशासन ने वेतन कीसमस्या मिटाने के लिए कदम उठाने की बात कही है। भारत-भूटान सीमा इलाके के केरन, ग्रासमोड, लुकसान व धूपगुडीब्लॉक के आमबाडी, चामुर्ची, चुनाभटटी, कठालगुडी, पलासबाडी से काफी संख्या में श्रमिक नगद पैसा के लिए भूटान में काम कर रहे हैं।