राजस्थान पुलिस को कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह समेत 80 हजार फरार वारंटियों की तलाश है मगर इन सब पर आनंदपाल की तलाश भारी पड़ रही है। वजह साफ है कि आनंदपाल ने राजस्थान पुलिस के मुंह पर कालिख पोत रखी है। सरकार को लाजवाब बना रखा है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का दिमाग चकराया हुआ है। पेश है स्पेशल रिपोर्ट-
जोधपुर। आनंदपाल की तलाश में जुटी पुलिस भले ही उसके गिरोह के कई सदस्यों को पकडऩे का दावा करती हो, लेकिन राजस्थान पुलिस के लिए तलाश का टारगेट अस्सी हजार के करीब है। जी हां, प्रदेश पुलिस को वर्तमान में अस्सी हजार लोगों की तलाश है।
इनमें स्थाई वारंटी, गिरफ्तार वारंटी, उद्घोषित अपराधी और भगौड़े अपराधी शामिल हैं। यह अलग बात है कि राजस्थान पुलिस ने तमाम संसाधन सिर्फ आनंदपाल को खोजने में झोंक रखे हैं। उधर आनंदपाल है कि पुलिस को छका रहा है।
80 हजार आरोपी वे हैं, जिनके मामले अदालत में पहुंच चुके हैं। कई अदालत की पेशी पर उपस्थित नहीं हो रहे तो कई आरोप साबित होने के बाद भी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ अदालत में चालान पेश कर पुलिस अदालत के आदेश पर उनकी सम्पत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी कर चुकी है।
वांटेडों की सूची में सबसे ज्यादा संख्या स्थाई वारंटियों की है। प्रदेश में 65 हजार से अधिक लोगों के स्थाई वारंट विभिन्न अदालतों से जारी हैं। सबसे अधिक स्थाई वारंटी जयपुर शहर में हैं। यहां 11 हजार स्थाई वारंटियों की पुलिस को तलाश है। इसी तरह अजमेर और उदयपुर पुलिस को करीब चार-चार हजार वारंटियों की तलाश है।
जयपुर कमिश्नरेट पुलिस को स्थाई वारंटियों के साथ 11 सौ भगौड़ों की भी तलाश है। इसके बाद सबसे अधिक भगौड़े अपराधी अलवर पुलिस के खाते हैं। अलवर पुलिस को 654 भगौड़ों की तलाश है। इसी तरह भरतपुर पुलिस को भी पांच सौ भगौड़ों की तलाश है। यानी पूरे राजस्थान की जेलें कैंदियों के इंतजार में हैं।