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पहली बार : मोहर्रम में मुस्लिम समाज नहीं निकालेगा ताजिया

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जगदलपुर। मोहर्रम पर निकलने वाले ताजिये के जुलूस को गैरवाजिब बताते हुए मुस्लिम समाज ने इस साल ताजिया का जुलूस नहीं निकालने की अपील की है। समाज के प्रबुद्धजनों की ओर से ताजिया जुलूस में शामिल नहीं होने के लिए पंफलेट भी छपवाए गए हैं, इसमें बताया गया है कि ताजिया निकालना इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं है। इस्लाम में ढोल-नगाड़े, बैंड और शोर पर पूरी तरह से पाबंदी बरतने को कहा जाता है, इस हिसाब से जुलूस के लिए इस्लाम में कोई स्थान नहीं है। ये पहला मौका है जब मुस्लिम समाज से इस तरह की अपील जारी की गई है।

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अंजुमन इस्लामिया कमेटी की ओर से जारी पर्चे के जरिए समाज में इस्लाम को लेकर जागरूकता भी फैलाने की बात है। इसमें लिखा है कि इस्लाम शांति का संदेश देने वाला धर्म है। इसमें ताजिया, बैंड-बाजा और जुलूस का कोई स्थान नहीं है। सदर शेख सलीम रजा ने बताया कि इमाम हसन और हुसैन ने इस्लाम के लिए कुर्बानी दी थी। इसके बाद उनके विरोधियों ने जश्न मनाया था। इमाम हसन और हुसैन की शहादत पर बैंड बजाना गलत है, समाज के सभी लोगों से अपील है कि इस गैर इस्लामिक कृत्य से दूरी बनाएं। पर्चे में मोहर्रम में नमाज पढऩा, फातिहा करने, गरीबों की मदद करने, प्यासे को पानी पिलाने जैसी चीजों को अपनाकर शहादत को याद करने की अपील की गई है। मोहर्रम के दस दिन जामा मस्जिद में तकरीर होगी। इसमें मुंबई से मुफ्ती मोहम्मद वसीम अशरफी तशरीफ लाएंगे।

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