नई दिल्ली। देश में दलहन, सब्जी और प्याज के दाम बढऩे से थोक मुद्रास्फीति (महंगाई दर) थोड़ी बढ़कर शून्य से 3.81 प्रतिशत नीचे आ गई है। जबकि सितंबर में यह शून्य से 4.54 प्रतिशत नीचे थी। इससे मुद्रा अपस्फीति का दबाव कुछ कम हुआ है।
यह लगातार 12वां महीना है जब थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है। यह सिलसिला गत वर्ष नवंबर में शुरू हुआ था जबकि थोक मूल्य वाली मंहगाई दर शून्य से नीचे गई थी।
थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति पिछले साल अक्टूबर में 1.66 प्रतिशत थी। इस बार अक्टूबर में खाद्य उत्पादों के वर्ग में खास कर दाल-दलहन और प्याज की महंगाई दर काफी ऊंची रही है। वहीं अक्टूबर में दालों की महंगाई दर 52.98 प्रतिशत रही। प्याज के थोक भाव एक साल पहले से 85.66 प्रतिशत ऊंचे रहे हैं।
ताजा जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सब्जियों में मूल्य सालाना आधार पर वृद्धि 2.56 प्रतिशत रही है। पिछले साल इसी महीने में इसके दाम शून्य से 19.37 प्रतिशत कम हुए थे। दलहन और प्याज के अलावा सालाना आधार पर दूध (1.75 प्रतिशत) और गेहूं 4.68 प्रतिशत महंगा हुआ है। आलू के दाम 58.95 प्रतिशत घटे हैं। ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति शून्य से 16.32 प्रतिशत नीचे रही है।
रिजर्व बैंक करेगा नीतिगत फैसला
अगस्त की थोक मुद्रास्फीति संशोधित कर शून्य से 5.06 प्रतिशत नीचे कर दी गई है जबकि प्रारंभिक आंकड़ों में इसे शून्य से 4.95 प्रतिशत नीचे बताया गया था। रिजर्व बैंक पहली दिसंबर को होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दर पर कोई फैसला करते हुए थोक मूल्य सूचकांक के आकड़ों को ध्यान में रखेगा।