जबलपुर। यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के हनुमानजी को दलित आदिवासी बताने से उठा विवाद गहराता जा रहा है। इस बीच शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उन्हें ब्राह्मण बताया है।
मोदी सरकार पर बरसे शंकराचार्य
शंकराचार्य कहा कि भाजपा राममंदिर के निर्माण को लेकर ईमानदार नहीं है। वह सिर्फ 2019 के लोकसभा चुनाव में लाभ हासिल करने के लिए हथकंडे के रूप में इस मुद्दे को उछाल रही है। जबकि राममंदिर निर्माण को लेकर संसद को एक प्रस्ताव बनाकर सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करना चाहिए, जिसके आधार पर इस काम में आ रही बाधा को समाप्त किया जाए। भाजपा ऐसा न करके राममंदिर की बात कहकर जनता को भ्रमित कर रही है। यहां तक कि अध्यादेश लाए जाने की बेतुकी बात भी समय-समय पर सामने आती रहती है। जबकि राममंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश किसी भी दृष्टि से प्रासंगिक नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि रामलला के लिए 67 एकड़ भूमि पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है।
स्वामी स्वरूपानंद ने यहां तक कहा कि जिस ढांचे को बाबरी मस्जिद कहकर ढहाया गया, वह बाबरी मस्जिद थी ही नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि ध्वस्त निर्माण में मंगलकलश और हनुमानजी के चित्र वाली नक्काशी सहित कई अन्य सबूत मिले, जो वहां पहले से हिन्दू धर्मस्थल होने का प्रमाण दे रहे थे। इसके बावजूद भाजपा-आरएसएस सहित उनसे जुड़े हिन्दू संगठनों ने राजनीतिक लाभ के लिए बाबरी का हल्ला मचाया। सत्य तो ये है कि अयोध्या में कभी बाबर पहुंचा ही नहीं तो फिर बाबरी मस्जिद भला कहां से बन गई?
स्वामी स्वरूपानंद ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल मूर्ति बनाए जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ पुतले बना सकती है मंदिर नहीं। इसीलिए भाजपा राममंदिर के स्थान पर सरयू किनारे भगवान श्रीराम की भी विशालकाय प्रतिमा बनाने की योजना बना चुकी है।