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मध्यप्रदेश की बनी नई पहचान

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र के स्‍थापना दिवस पर अपने ब्लॉग के माध्‍यम से प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश का आज 61वाँ स्थापना दिवस है।

मेरा जन्म प्रदेश के गठन के 3 साल बाद हुआ। जबसे मैं कुछ सोचने-समझने लगा, तभी से मेरे मन में यह बात रही कि हमारा मध्यप्रदेश कितना अद्भुत और अनूठा है। यहां की माटी को रत्नगर्भा, अन्नपूर्णा और वीर-प्रसूता होने का गौरव प्राप्त है। कुछ और बड़ा होने के बाद मुझे एक बात लगातार खटकती रही कि प्रचुर प्राकृतिक सम्पदाओं और क्षमताओं से सम्पन्न यह प्रदेश वांछित रूप से विकसित क्यों नहीं हो पा रहा।

विकास एक निरंतर प्रक्रिया है और प्रदेश की स्थापना के समय से ही सभी ने अपनी-अपनी समझ और क्षमता के अनुरूप इसके विकास में योगदान किया। लेकिन यह सवाल फिर भी मुझे कचोटता रहा कि हम जितना विकास कर सकते थे, उतना कर क्यों नहीं पाएँ। मैं इसके कारणों पर चर्चा नहीं करना चाहता। वर्ष 2005 में मेरी पार्टी में मुझे इस विविधता भरे और विशाल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपा। मैं इस उत्साह से भर गया कि अब मैं प्रदेश के विकास के लिए अपनी सोच के अनुरूप कुछ सकता हूँ।

मेरे राजनीतिक और सांस्कृतिक संस्कारों ने मेरी मदद की। मैं प्रदेश को आगे बढ़ाने की दिशा में प्राण-प्रण से जुट गया। मेरी पार्टी और प्रशासन से मुझे भरपूर सहयोग मिला। मैं बार-बार कहता रहा हूँ कि पूरा प्रदेश मेरा परिवार है। यह मेरे लिए सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि मेरा मंत्र और संकल्प है। मध्यप्रदेश मेरा मंदिर है, जनता मेरी भगवान और मैं उसका पुजारी हूँ। इस मंत्र को मैंने अपने आचरण, स्वभाव और संस्कारों में उतारा है। इसीके अनुरूप काम करते हुए मैंने प्रदेश के लोगों का प्रेम और स्नेह अर्जित किया है। आज मध्यप्रदेश को बेस्ट परफार्मिंग स्टेट के रूप में जाना जा रहा है।

विकास की बात कहूँ तो अनेक ऐसे लोग हैं जो बीते 10-11 साल में मध्यप्रदेश के कायाकल्प को चमत्कार कहते हैं। लेकिन यह चमत्कार नहीं, टीम मध्यप्रदेश, हमारी सरकार की साफ नीति और नीयत तथा प्रदेश के परिश्रमी लोगों के निरंतर प्रयासों का सुफल है। मेरे माटीपुत्र किसानों की जीवटता और समर्पण का ही फल है कि उन्होंने 3 साल तक लगातार प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद मध्यप्रदेश में कृषि उत्पादन कम नहीं होने दिया, बल्कि बढ़ा दिया। प्रदेश को चार साल से लगातार कृषि क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए भारत सरकार पुरस्कृत कर रही है।

प्रदेश के बड़े शहरों ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे स्थानों से भी हमारे बच्चे पढ़-लिखकर देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

श्रमिकों के परिश्रम और उद्यमियों की उद्यमशीलता का ही परिणाम है कि विश्व-व्यापी आर्थिक मंदी के बावजूद मध्यप्रदेश 8 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक विकास दर कायम रखने में कामयाब हुआ है। इसी अच्छे वातावरण के कारण आज मध्यप्रदेश निवेशकों और उद्योगपतियों की पहली पसंद बनकर उभरा है। हाल ही में इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को जो रिसपॉन्स मिला है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हो चुका है।

मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि प्रदेश महिलाओं के सशक्तिकरण में अग्रणी है। हमारी बेटियाँ और बहनें हर क्षेत्र में प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रही हैं। महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए हमने सुनियोजित योजनाएँ लागू की हैं, जिनके बहुत अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।

मेरा सपना है कि मध्यप्रदेश भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के सबसे विकसित, सशक्त, सक्षम, समृद्ध और अग्रणी राज्यों में शामिल हो। मुझे प्रदेश और प्रदेशवासियों की क्षमता पर पूरा विश्वास है, जिसके बल पर मैं कह सकता हूँ कि हम अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करके रहेंगे।

देश के मध्य में स्थित होने तथा अन्य खूबियों के फलस्वरूप मध्यप्रदेश आने वाले समय में भारत के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तत्पर हैं। हम कह सकते हैं कि अगले दशक मध्यप्रदेश के हैं।

मैंने पढ़ा है कि – ”धर्मेणैव प्रजास्सर्वा रक्ष्न्ति स्म परस्परम”
अर्थात, आदर्श समाज वह है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वाह करता है। हम इसका पालन करते हुये अपने लक्ष्य को अवश्य पायेंगे।