दरअसल उन्होंने बताया कि हमें मुस्लिम के साथ रहने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन फिर बंटवारा कैंसिल होना चाहिए। और अगर बंटवारे के बाद भी मुस्लिम यहां रहा है, तो फिर अखंड भारत होना चाहिए। मुस्लमान यहां भारत में रहना चाहते हैं, तो पाकिस्तान नाम की दीवार गिरना चाहिए।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सामान नागरिक संहिता सुनने बड़ा लुभावना लगता है। उदहारण के तौर पर हाथी को छाट दो या फिर चूहे में हवा भर दो। जब तक इसका ड्रॉफ्ट तैयार नहीं होता, जब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है। पिछले 70 साल की सरकारों में इसे लेकर वो स जज्बा नहीं देखा गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के वक्त भी हिंदू कोर्ट बिल में सिर्फ हिंदू धर्म में संशोधन किया गया था।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कश्मीरी पंडित को लेकर भी एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित को बसाना तो छोड़ हिंदू भी सुरक्षित नहीं है।अब तो यहां भी खालिस्तानी जैसा माहौल हो गया है। वो लोग पूछते है हिंदू हो और हत्या कर देते है। पहले भी यही होता था।
इसी कड़ी में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिंदुत्व विरोधी बॉलीवुड फिल्में बनाने पर भी अपनी टिप्पणी दी है। उन्होंने कहा कि हम लोग ऐसी फिल्में देख उनकी आय मजूबत कर रहे है।हमें उनकी ऐसी फिल्मों का खुल कर विरोध करना चाहिए। अब सेंसर बोर्ड की तर्ज पर धार्मिक समिति भी फिल्मों का अध्ययन करेगी।और कुछ भी हिंदू धर्म को निशाना साधने जैसे तथ्यों पर नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि जल्द समिति गठित होकर काम शुरू किया जाएगा।
इस बयान के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी स्वामी का समर्थन किया है। मंत्री ने कहा कि यह बात सही है कि पिछले कुछ समय से जानबूझ कर हिन्दू देवी देवताओं को अपमानित किया जा रहा है।सरकार लगातार इस मामले को कार्रवाई करती रहती है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं का समर्थन मिलता है। इसलिए निर्माता इस तरह की फिल्मों को बनाते हैं।