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चंदे का धंधा करने वालों को लेना चाहिए इनसे सबक

नामदेव न्यूज़ डॉट कॉम

अजमेर। चंदे का धंधा! …..सुनते ही चिढ लगना स्वाभाविक है मगर है सच। समाजसेवा की आड़ में कई लोग चंदे पर ही पल रहे हैं। ऐसे लोगों को 23 अक्टूबर को भोपाल में होने वाली सर्व नामदेव समाज की बैठक से सबक लेना चाहिए।

दरअसल यह बैठक कई मायनों में सबसे अलग हटकर है। संत शिरोमणि नामदेव सहायता मिशन की यह पहली बैठक न सिर्फ नामदेव समाज बल्कि दूसरे समाजों के लिए भी मिसाल बनेगी। बैठक की सबसे अहम खासियत यह है कि इसका खर्च समाज के चंदे से नहीं बल्कि अपनी जेब से उठाया जाएगा।

यह सही है कि समाज का काम सभी की भागीदारी से ही होता है। यह भागीदारी तन, मन और धन के रूप में हो सकती है। इसमें भी धन की भागीदारी जरूरी होती है। इसे चंदा कहा जाता है। यह भी सच है कि कई लोगों के लिए यह चंदा ही धंधा बन गया है। ‘समाज का काम’ बताकर यात्रा का सारा खर्च समाज के ही मत्थे डालने का चलन है। रेल-बस किराये से लेकर टैक्सी भाड़ा और चाय पानी खाने का खर्च तक समाज के मत्थे मढ़ दिया जाता है। दूसरे शहर में खाना भले ही समाज बंधुओं के घर पर खाया हो लेकिन अपने यात्रा खर्च में इसे भी जोड़ लिया जाता है। महंगा नाश्ता, देशी घी का खाना और टैक्सी की सवारी का लुत्फ समाज के पैसों से ही उठाने का चलन रहा है।

मगर भोपाल में होने वाली यह बैठक इस चलन का अपवाद होने के साथ ही ऐसे लोगों के लिए सबक भी होगी। इस बैठक में 10 राज्यों के आमंत्रित समाज बंधु शिरकत करेंगे। उनके होटल-लॉज में ठहरने- खाने की व्यवस्था होगी लेकिन यह खर्च बैठक में भाग लेने वाले सभी बंधु अपनी जेब से वहन करेंगे। सहायता मिशन की चंदा या सहयोग राशि से एक पैसा भी खर्च नहीं किया जाएगा।

 

यह है सोच

संत शिरोमणि नामदेव सहायता मिशन गठित करने का उद्देश्य समाज के जरूरतमंद बंधुओं की आर्थिक सहायता करना है। इसके लिए सभी सदस्य प्रति माह अपनी इच्छा के मुताबिक 10 -20 रुपए से लेकर 100-200 या इससे ज्यादा राशि मिशन के खाते में जमा कराएंगे। इस राशि का इस्तेमाल सिर्फ समाज के जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए किया जाएगा। ऐसे में मिशन की बैठक आदि पर होने वाला तमाम खर्च मिशन की राशि में से नहीं बल्कि अपनी जेब से वहन किया जाएगा।