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आखिर क्यों हाथ मलता रह गया नामदेव समाज ?

 

– नंदकिशोर नामदेव इंदौर

न्यूज नजर :  बड़ी सोचने वाली बात है कि सिलाई कढ़ाई बोर्ड के अध्यक्ष होने के नाते अथवा मुख्यमंत्री के नजदीकी होने के नाते सुनील माहेश्वरी को गुजराती समाज के सामुदायिक भवन के लिए करीब 72 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की गई। इसी कड़ी में सेन समाज को भी  72 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा सामुदायिक भवन निर्माण हेतु की गई।

 

 मुख्यमंत्री अवश्य इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं किंतु नामदेव समाज को सामुदायिक भवन हेतु आर्थिक सहायता क्यों नहीं जारी की गई, इसके लिए भी मुख्यमंत्री महोदय धन्यवाद के पात्र हैं।

 ऐसा नहीं है कि सिलाई कढ़ाई बोर्ड में नामदेव समाज के दो सदस्य होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री द्वारा सामुदायिक भवन हेतु सहायता राशि क्यों नहीं जारी की गई। कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री महोदय के मन में यह  संशय होगा कि नामदेव समाज के किस गुट को सहायता राशि जारी की जाए।नामदेव समाज के विभिन्न गुटों में बंटे होने के कारण ही यह सहायता राशी जारी नही की गई होगी???? 

नामदेव समाज की विघटनकारी नीतियों और व्यक्तियो के लिए यह  चेतावनी है सरकार की?

 

 ऐसा नहीं है कि बोर्ड के अध्यक्ष सुनील महेश्वरी और बोर्ड के दो नामदेव समाज के सदस्य श्रीमती चंद्रकांता नामदेव और रामेश्वर नामदेव द्वारा प्रयास नहीं किया गया होगा मगर कारण यही रहा होगा कि किस समूह को सहायता राशि जारी की जाए। अब समाज के सोचने का समय है क्या इसी तरह हम समाज को आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहेंगे।?????

 

नामदेव समाज के युवाओं द्वारा समाज में एकता के प्रयास किए जा रहे हैं जो कुछ माह पूर्व भी हुए थे मगर आपसी सहमति नहीं बनने के कारण एकता का प्रयास विफल हो गया था। अब वापस एकता का प्रयास किया जा रहा है। जिस व्यक्ति की बात मान ली जाएगी वह समर्थन दे देगा जिसकी बात नहीं मानी जाएगी वह फिर नए झंडे तले काम करने का प्रयास करेगा। क्या हम दो गुट के बजाय तीसरे गुट  की ओर नहीं बढ़ रहे हैं।

 क्यों ना हमारे द्वारा संगठन के चुनाव की ओर कदम बढ़ा कर जिसकी घोषणा 12 अगस्त की गई है। जो योग्य व्यक्ति दिखे उसे चुनाव में विजय बनाकर सर्वमान्य बनाया जाए ताकि आने वाले समय के लिए वाद विवाद वाली स्थिति खत्म हो और जो भी व्यक्ति चुनकर अध्यक्ष बने उसे पूरा समाज दिल से मदद करें और फिर मुख्यमंत्री से सामुदायिक भवन की सहायता राशि के लिए निवेदन किया जाए। इससे समाज में एकता भी बनी रहेगी और सरकार के पास स्पष्टता भी जाएगी की चुनी हुई संस्था को ही आर्थिक सहायता दी जाए।

 

हो सकता है मेरी बातों से किसी का पेट भी दुख है मगर मैं समाज का हित चाहता हूं इसीलिए यह बातें कर रहा हूं.। उम्मीद है समाज के बुद्धिजीवी वर्ग का मुझे समर्थन अवश्य प्राप्त होगा।

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