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 सोमवती हरियाली अमावस्या आज : दान-पुण्य के साथ करें तुलसी और पीपल की पूजा

न्यूज नजर। जब भी मन व्याकुल हो तो आस्था और हरियाली, दान-पुण्य ही है जो आपको मन-मस्तिष्क में शांति प्रदान करती हैं। एक ही तिथि को आस्था और हरियाली के साथ दान-पुण्य एक साथ मिल जाए तो आप क्या कहेंगे ? इस समय सावन का माह चल रहा है। 20 जुलाई धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दिन है। क्योंकि कल अमावस्या है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या का महत्त्व अधिक माना गया है।

लेकिन इस बार यह अमावस्या सोमवार को पड़ने की वजह से ‘सोमवती अमावस्या’ कहलाती है। बता दें कि इस बार सावन माह में 20 साल बाद अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है। इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। सोमवार को होने से इसका नाम सोमवती भी है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की हमारे देश में प्राचीन परंपरा रही है। स्नान के बाद दान-पुण्य करना बहुत महत्व माना गया है। लेकिन इस समय कोरोना महामारी की वजह से आस्था पर भी पाबंदियां लगी हुईं हैं।

अगर आप कोरोना की वजह से नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करके जाप कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सोमवती अमावस्या पर भगवान शिवजी की पूजा के साथ पीपल देवता की भी पूजा करने करने की मान्यता है। इस दिन पीपल को दूध, जल, हार-फूल, चावल, चंदन चढ़ाएं और दीपक जलाकर पूजा अर्चना करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोमवती अमावस्या पर दान-पुण्य भी कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त यह रहेगा, अमावस्या तिथि 20 जुलाई की रात 12 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और समापन 20 जुलाई की रात 11 बजकर 02 मिनट पर होगा।

इस बार 20 वर्ष के बाद अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है

आपको बता दें कि इस बार यह अमावस्या सोमवार के दिन 20 वर्षों के बाद पड़ने से शुभ संयोग बन रहा है। कहा जाता है कि सावन सोमवार और सावन की सोमवती अमावस्या को श्रद्धालुओं के लिए पूजा-पाठ करने और जलाभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है। भगवान शिव को समर्पित सावन मास का हर सोमवार बहुत खास होता है लेकिन इस बार सावन का तीसरा सोमवार ज्यादा फलदायी है। इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था।

पंडित भगवती प्रसाद गौतम के अनुसार सोमवार को चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह भी अपनी राशि में रहेंगे। इस दिन शिव भगवान का पूजन फलदायी रहेगा। वहीं इस तिथि को महिलाओं को तुलसी की परिक्रमा भी करना लाभदायक होगा। सोमवती अमावस्या को पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध रस्मों को करना उपयुक्त माना जाता है। साथ ही कालसर्प दोष निवारण की पूजा के लिए भी अमावस्या का दिन खास होता है। अमावस्या को अमावस या अमावसी के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन प्राकृतिक को भी हरा-भरा बनाने की रही है परंपरा

 

सोमवती अमावस्या का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही प्राकृतिक भी माना गया है। सावन माह की अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। ये दिन प्रकृति के लिए खास है। प्राकृतिक महत्व के कारण सावन महीने की अमावस्या बहुत ही लोकप्रिय होती है। इस दिन वृक्षों और हरियाली के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर जाना जाता है। हरियाली अमावस्या पर पौधे लगाना शुभ माना गया है।

बता दें कि इन दिनों सावन का महीना होने से चारों ओर हरियाली फैल जाती है। ऐसे में प्राकृतिक स्वयं सभी का ध्यान हरियाली की ओर खींचती है। हरियाली अमावस्या हरियाली तीज से तीन दिन पहले मनाई जाती है। आइए हम भी इस हरियाली अमावस्या पर अपनी प्रकृति को सहेजने और संवारने के लिए एक पौधा लगाएं।

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