भोपाल । सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालु मेला क्षेत्र में घाटों पर या अन्य किसी स्थान पर भभूति लगाए नागा साधुओं को बडे श्रद्धाभाव से देखते है। श्रद्धालुओं के मन में अक्सर ही इस तरह के सवाल उठते हैं कि साधारण जीवन में तो भभूति एक प्रसाद और आशीर्वाद के रूप में उपयोग की जाती है,परन्तु क्या नागा साधुओं के जीवन में भी भभूति प्रसाद और आशीर्वाद के रूप में उपयोग की जाती है।
नागा साधु भभूति को एक मंत्र के रूप में उपयोग करते हैं। जमना किनारे जन्मे निर्भयसिंह गिरिजी बताते हैं कि भभूति अनेकों औषधीय सामग्रियों से परिपूर्ण होती है। नागा इन औषधियों को अपने शरीर पर एक कवच, वस्त्र और मन में मंत्र के उच्चारण को लेकर उतारते हैं और चढ़ाते हैं। कई नागा साधु ऐसे होते हैं, जो केवल कुंभ या सिंहस्थ के दौरान ही शाही स्नान करते हैं, जबकि कुछ केवल सिंहस्थ में ही स्नान को महत्व देते हैं। एक सामान्य नागा साधु अपने जीवन में लाखों बार भभूति को मंत्रों के साथ उतारने और चढ़ाने का कार्य करते हैं।
मोक्ष दायिनी क्षिप्रा में 11 हजार दीप-दान
महाराष्ट्र के श्री दत्त माऊली सतगुरू अण्णा महाराज की भक्त मण्ड़ली ने क्षिप्रा में 11 हजार दीपों से दीपदान किया । पुण्य सलिला मोक्ष दायिनी क्षिप्रा नदी में दीप-दान का बड़ा महत्व है। सिंहस्थ के दौरान ऐसे कई समाज है जो मन की शांति के लिए क्षिप्रा में दीप-दान कर रहे हैं।