News NAZAR Hindi News

सिंहस्थ विशेष: संतों से पूर्व स्नान करते हैं उनके भाले


ओंकारेश्वर। सिंहस्थ महाकुंभ के शाही स्नानों में संतों से पूर्व विभिन्न अखाड़ों एवं संस्थाओं के जो प्रतिष्ठित प्रतीक चिन्ह रहते हैं उन्हें स्नान कराया जाता है। इसके पश्चात संतगण स्नान करते हैं। सिंहस्थ स्नान की इसी प्राचीन परंपरा के तहत ओंकारेश्वर के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के सूरजप्रकाश व भैरोप्रकाश भालों को सिंहस्थ के शाही स्नान में सम्मिलित होने हेतु उनका विधिवत पूजन अर्चन करके अखाड़े के सेक्रेटरी महंत श्री कैलाश भारती व अन्य संतों ने यहां से वाहन में सम्मान पूर्वक रखकर इन प्राचीन भालों को प्रस्थान कराया।

इस संबंधी जानकारी देते हुए श्री भारती ने बताया कि ओंकारेश्वर के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में प्राचीन काल से ही श्री कपिल मुनिजी की चरणपादुकाएं है। भारत वर्ष में जिन तीन स्थानों से महानिर्वाणी अखाड़े में सम्मिलित होने के लिए संतों को प्राथमिक दीक्षा दी जाती है। उनमें ओंकारेश्वर के साथ हरिद्वार व काशी जैसे धार्मिकस्थल भी है।

उन्होंने बताया कि उज्जैन में जब भी सिंहस्थ महापर्व आता है तो यहां के महानिर्वाणी अखाड़े के कपिल मुनि चरणपादुका स्थल में स्थापित इन दोनों भालो जिनका प्राचीनकाल से ही नाम सूर्यप्रकाश एवं भैरोप्रकाश है। इन्हें भी यहां से विधिवत पूजन पाठ के बाद ले जाया जाता है। जबकि देश के अन्य स्थानों पर कुंभ महापर्व का आयोजन होने पर अखाड़ों के अन्य स्थानों से हमारे प्रतिष्ठित प्रतीक चिन्ह ले जाते है। इन भालो के साथ अखाड़ों के संतद्वय श्री ब्रजमोहनगिरी एवं शिवपुरीजी को भेजा गया है। सिंहस्थ महापर्व की समाप्ति के पश्चात पुन: इन दोनों भालो को यहां स्थापित कर दिया जाएगा।

18 अप्रैल को होगी पेशवाई

उज्जैन सिंहस्थ महापर्व में श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पेशवाई आगामी चैत्रशुक्ल द्वादशी तिथि सोमवार 18 अप्रैल को होगी जिसमें आठ श्री महंत, आठ सचिव एवं कार्यभारी तथा थानापति के साथ संतगण एवं भक्तगण सम्मिलित होंगे। पेशवाई का मार्ग नीलगंगा से श्रीगंज चामुंडा माता देवा गेट होते हुए गुदरी चौराहा कार्तिक मेला स्थल से होते हुए बडनगर छावनी रोड में यह यात्रा प्रवेश करेगी। ओंकारेश्वर महानिर्वाणी अखाड़े के सेक्रेटरी कैलाश भारती ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे सिंहस्थ का पुण्य लाभ लेने हेतु महानिर्वाणी के कैंप स्थल में अवश्य पधारें।