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सिंहस्थ की द्वितीय पेशवाई में नजर आया संतरूपम


उज्जैन। सदी के द्वितीय सिंहस्थ की द्वितीय पेशवाई रविवार को नीलगंगा स्थित पड़ाव क्षेत्र से निकली। वास्तविक रूप से रविवार के दिन शहर भर के लिये उत्साह व उमंग भरा रहा। पड़ाव क्षेत्र से ही पेशवाई के दर्शन कर साधु-संतों का आशीर्वाद लेने के लिये श्रद्धालु उमड़े। सिंहस्थ की द्वितीय पेशवाई में सिंहस्थ नगरी उज्जैन में साधु-संतरूपम नजर आया। पेशवाई में अखाड़े की विशाल धर्मध्वजा लेकर साधु-संत चल रहे थे।

विशाल धर्मध्वजा के बाद दो महात्मा घोड़े पर सवार होकर एक संत नगाड़ा बजा रहे थे। वहीं दूसरे घोड़े पर सवार महात्मा डमरू की ध्वनि को पेशवाई मार्ग में बिखरा रहे थे। इसके बाद मार्ग में अनेकों साधु-संत तलवार, भाला व बरछी से ऐसे करतब कर रहे थे। जैसे किसी अदृश्य अशुभ आत्मा का नाश कर रहे हो। श्री पंचायती आवाहन अखाड़े की पेशवाई में प्रदेश के परिवहन व जिले के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्रसिंह, सिंहस्थ केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष माखनसिंह, संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, झोनल अधिकारी डीके नागेन्द्र एवं पुलिस प्रशासन के अनेकों अधिकारियों ने पेशवाई से पूर्व महामण्डॉलेश्वर महन्त एवं संतों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया।

पेशवाई के प्रारम्भ से पूर्व संत साधुओं ने पूजा अर्चना कर अखाड़े की धर्मध्वजा और भाल को स्थापित किया। इसके पश्चात् साधुओं ने खिचड़ी के रूप में प्रसादी ग्रहण कर पेशवाई का आगाज किया। पेशवाई में आचार्य पुन्यानंदगिरि वातानुकूलित बग्गी में सवार होकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे है। इनके अलावा पेशवाई में महामण्डलेश्वर कृष्णानंदपुरी, महामण्डलेश्वर बालयोगेश्वरानंद, महामण्डलेश्वर अतुलेश्वरनंद, महामण्डलेश्वर श्रीमंत भोलेनंदगिरि, महामण्डलेश्वर श्रीमंत नीलकंठगिरि सहित अनेक साधु-संत पेशवाई में चलते रहे।

इस मार्ग से निकली पेशवाई

आवाहन अखाड़े की पेशवाई नीलगंगा स्थित पड़ाव स्थल से फ्रींगज होकर, चामुण्डामाता, देवासगेट, नईसड़क, गोपालमंदिर, ढाबारोड होकर दानीगेट से सदावली मार्ग पर स्थित अखाड़े की छावनी में पहुंची। यहां अखाड़े के देवता श्री गणेश व निशान भाला को धर्मध्वजा के पास स्थापित किया।