भारतीय पंचांग के अनुसार इस बार शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर 25 मई को मनाई जाएगी। भक्तों ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। शनि मंदिरों में सफाई के साथ ही उन्हें अच्छे से सजाया जा रहा है।
25 मई गुरुवार को अमावस्या सुबह 05 बजकर 07 मिनट से शुरू होगी जो 26 मई शुक्रवार को रात 01 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को होने से इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है। शनि जयंती को शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
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शनि जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना, हवन, उपवास आदि से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान उन पर तेल जरूर चढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा इस दिन गरीबों को भोजन व जरूरत मंदों को दान देने की भी मान्यता है।
शनि न्यायाधीश
नव ग्रहों में विशेष ग्रह माने जाने वाले शनि से लोग सबसे ज्यादा डरते जरूर हैं लेकिन वह किसी का बुरा नहीं करते हैं। वह लोगों के कर्मों के हिसाब से उनके साथ न्याय करते हैं। इसलिए उन्हें न्यायाधीश के रूप में भी पहचाना जाता है। शास्त्रों में शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन खास माना जाता है।
कहते हैं कि प्रत्येक शनिवार को उनकी पूजा करने से व्यक्ति पर से साढ़ेसाती और ढैया समाप्त हो जाती है। इसके अलावा कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्रभाव भी खत्म हो जाता है। इससे व्यापार में तरक्की, नौकरी में पदोन्नति जैसे लाभ भी मिलते हैं।
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