इलाहाबाद। अखिल भारतीय अखाडा परिषद् ने आज दूसरी सूची जारी की है। इसमें तीन और बाबाओं को फर्जी घोषित किया गया है। इससे पहले 10 सितम्बर को पहली लिस्ट जारी कर संत राम रहीम और राधे मां सहित 14 बाबाओं को फर्जी बाबा घोषित किया गया था।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आज तीन फर्जी बाबा का नाम घोषित करते हुए इन बाबाओं का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की है। इलाहाबाद के मठ बाघम्बरी गद्दी में आज देश भर के सभी 13 अखाड़ों के संत एकत्र हुए।
उन्होंने सर्वसम्मति से दिल्ली के वीरेंद्र देव दीक्षित, बस्ती के स्वामी सचिदानंद सरस्वती और महिला संत इलाहबाद की त्रिकाल भवंता को फर्जी घोषित किया है। हाल ही वीरेंद्र देव के आश्रमों से कई महिलाओं व लड़कियों को आजाद कराया गया है। उनका कहना है कि वीरेंद्र देव नंगा होकर एक साथ दस लड़कियों से मालिश कराता था और सेक्स की दवाएं खाकर उनसे संभोग करता था।
अखिल अखाडा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी का कहना है कि अब तो मीडिया को भी ऐसे बाबाओं का बहिष्कार करना चाहिए जो समाज को गलत दिशा देकर अपना लाभ उठा रहे हैं।
परिषद से जुड़े सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वे अपने मठाधिकार क्षेत्र में ऐसे बाबाओं की तलाश करके उनका नाम परिषद को सौंपे ताकि ऐसे लोगों को आगाह करते हुए शासन-प्र्रशासन से उनके बारे में कार्रवाई के लिए कहा जा सके।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि वीरेंद्र देव दीक्षित सहित ऐसे तमाम लोग धर्म और समाज की पवित्रता, शुचिता को धूमिल करने में जुटे हैं। ऐसे बाबाओं का सनातन धर्म और संत समाज से कोई लेना देना नहीं है। परिषद की ओर से जारी नई सूची को भी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा ताकि उन पर कार्रवाई करते हुए उन्हें समाज से बहिष्कृत किया जा सके।
कथावाचक सन्त नहीं
अखाड़ा परिषद का मानना है कि कथावाचकों को संत नहीं कहा जाना चाहिए। कथावाचक सिर्फ कथावाचक है। ऐसे लोग जो किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं, वे संत नहीं हो सकते हैं। संत होने के लिए सनातन, संन्यासी, आचार्य, नाथ जैसी किसी परंपरा से जुड़ाव जरूरी है।
कुम्भ पर चर्चा
बैठक में कुम्भ मेले पर भी चर्चा की गई। कुम्भ विकास प्राधिकरण में अखाड़ों को शामिल न किये जाने पर नाराजगी जाहिर की गई है।
इसके पहले …
10 सितम्बर को परिषद ने 14 बाबाओं को फर्जी घोषित करने वाली लिस्ट जारी की थी। इसमें निर्मल बाबा, राधे मां, आशाराम बापू, सचिन दत्ता, गुरमीत सिंह, ओम बाबा, इच्छाधारी भीमा नन्द , स्वामी असीमांनंद, ओम नम: शिवाय बाबा, नारायण साईं, रामपाल, आचार्य कुश्मुनी , ब्रहस्पति गिरी और मलखान गिरी शामिल थे।
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