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विशेष : कलियुग में भी जीवित हैं रामभक्त हनुमान, यहां है उनका निवास स्थान

न्यूज नजर : माना जाता है कि कलियुग में केवल हनुमान जी ही सशरीर जीवित हैं और हर रामकथा सुनने अवश्य आते हैं। प्रभु श्रीराम की कथा में सबसे पहले आने वाले और सबसे अंत में जाने वाले व्यक्ति और कोई नहीं चिरंजीवी हनुमान ही होते हैं।
तुलसीदास जी रामायण में लिखते हैं कलियुग में भी हनुमान जी जीवंत रहेंगे क्योंकि उन्हें सीताराम जी से आशीर्वाद स्वरूप अजर अमर होने का वर प्राप्त है।

प्रभु राम के अनन्य सेवक भक्त, वेदाध्यायी, राक्षस संहारी वानर देश के राजा केसरी एवं अंजनी के पुत्र हैं। शास्त्रों में एक मंत्र है, अश्वत्थामा बलिर व्यासः हनुमंथरः विभीषणः। कृबा परशुराम च सप्तैतेय चिरंजीविनः।। 

उपरोक्त मंत्र के अनुसार 7 ऐसे चिरंजीवी महापुरुष हैं जो सदा के लिए अजर-अमर हैं और इनके नाम को सच्चे दिल से याद करने मात्र से भाग्य और आयु में वृद्धि होती है।

जब श्रीराम भूलोक से बैकुण्ठ को चले गए तो हनुमान जी ने अपना निवास पवित्र और ईश्वरीय कृपा से युक्त स्थान गंधमादन पर्वत को बनाया और आज भी वह वहीं निवास करते हैं। इस बात की पुष्टि श्रीमद् भागवत पुराण में भी होती है।

पुराणों के अनुसार गंधमादन पर्वत भगवान शिव के निवास कैलाश पर्वत के उत्तर में अवस्थित है। इस पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तप किया था। वीर हनुमान के अतिरिक्त यहां गंधर्व, किन्नरों, अप्सराओं और सिद्घ ऋषियों का भी निवास है। माना जाता है कि इस पहाड़ की चोटी पर किसी वाहन से पहुंचना असंभव है। सदियों पूर्व यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था लेकिन वर्तमान में यह क्षेत्र तिब्बत की सीमा में है।