आज 23 नवम्बर, 2017 बृहस्पतिवार मार्गशीर्ष शुक्ल तिथि पंचमी का दिन है, यानी विवाह पंचमी। कहते हैं इस दिन त्रेता युग में देवी सीता और प्रभु राम विवाह बंधन में बंधे थे।
देश में कई स्थानों पर विवाह पंचमी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम तथा जनकपुत्री जानकी (सीता) का विवाह हुआ था। तभी से इस पंचमी को ‘विवाह पंचमी पर्व’ के रूप में मनाया जाता है।
पौराणिक धार्मिक ग्रथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था। जिसका वर्णन श्रीरामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने बड़ी ही सुंदरता से किया है।
श्रीरामचरितमानस के अनुसार- महाराजा जनक ने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर रचाया। सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सकें, तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम से आज्ञा देते हुए कहा- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ।
गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम तत्पर उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़ें। यह दृश्य देखकर सीता के मन में उल्लास छा गया। प्रभु की ओर देखकर सीताजी ने मन ही मन निश्चय किया कि यह शरीर इन्हीं का होकर रहेगा या तो रहेगा ही नहीं।
माता सीता के मन की बात प्रभु श्रीराम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया। यह देखकर सीता के मन को संतोष हुआ।
अपनी राशि के अनुसार यह भोग लगााएं
ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि सीताराम की कृपा के साथ अपनी हर इच्छा पूरी करना चाहते हैं तो उन्हें अपनी राशि के अनुसार भोग लगाएं। ऐसा करने से आपके सभी कष्टों का निवारण हो सकता है।
मेष- नारियल के लड्डू
वृष- रसगुल्ले
मिथुन- काजू की बर्फी
कर्क- मावे की बर्फी अथवा पानी वाला नारियल
सिंह- गुड़ से बना कोई भी मिष्ठान अथवा बिल्व फल
कन्या- हरे रंग का कोई भी फल
तुला- कलाकंद अथवा सेब
वृश्चिक- गुड़ की रेवड़ियां
धनु- बेसन की मिठाई
मकर- काले अंगूर अथवा गुलाब जामुन
कुंभ- चीकू या चॉकलेटी रंग की बर्फी
मीन- जलेबी या केले
पूजन विधि- सीताराम के चित्र अथवा प्रतिमा को गंगाजल से पवित्र करें। इसके बाद नाना प्रकार से पूजन करें, घी का दीपक करें, गूगल से धूप करें। कुंकुम, हल्दी, चंदन का तिलक करें। लाल पीले और सफेद पुष्प अर्पित करें। तत्पश्चात साबूदाना व केसर से बनी खीर का भोग लगाएं। पूजन के बाद प्रसाद को ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांटें। यथासंभव राममंत्र, सुन्दरकाण्ड अथवा रामायण के 108 मनके का पाठ करें।