न्यूज नजर : कहा जाता है कि समय बडा बलवान होता है लेकिन समय तो अपनी ही गति के साथ चलता रहता है और वो सदियों से आज तक जैसा था वैसा ही चल रहा है। वहीं दिन और वही रात सदियों से चली आ रही है। मानवीय समझ ने इसे भूत, वर्तमान और भविष्य का नाम दिया तथा दुनिया में होने वाले हर घटनाक्रम को इसके साथ जोड़ दिया । चाहे यह घटनाक्रम प्राकृतिक हो या मानवीय।
लेखन कला की शुरुआत से पहले यह समस्त घटनाक्रम याददाश्त के रूप में पढी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहा और बाद में लेखन कला की शुरुआत के साथ यह विधिवत इतिहास के रूप में लिखा जाने लगा। समय के साथ यह सब कुछ जोड़ दिया गया और समय को बलवान-कमजोर कहा जाने लगा।
महाभारत में पांडव पुत्र अर्जुन एक श्रेष्ठ धनुर्धर था और महाभारत के महायुद्ध में श्री कृष्ण जी के उसके सलाहकार थे। अर्जुन के धनुष से निकले बाणो से महाभारत का युद्ध जीत लिया ।अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने के कारण अर्जुन को महान धनुर्धर कहा गया। इसी घटना क्रम के कारण इतिहास के काल को बलवान बताता गया।
समय बदलता गया। द्वारका में श्री कृष्ण जी का परिवार आपस में ही लड़ झगड़कर समाप्त हो गया और श्री कृष्ण जी भी बैकुंठ धाम पधार गये। तब अर्जुन को मालूम पडा तो वह द्वारका गये और श्री कृष्ण जी की रानियों को लेकर द्वारका नगरी से हस्तिनापुर आ रहे थे। तब रास्ते में कुछ जंगल के लुटेरों ने कृष्ण जी की रानियों के जेवर गहने लूट लिए। अर्जुन अपने धनुष बाण चलाते रहे लेकिन वे उन लुटेरों से जीत ना पाये और लुटेरे जेवर गहने लूट कर ले गए, अर्जुन तथा उसके धनुष के बाण धरे रह गये। जैसे तैसे अर्जुन उन रानियों को लेकर हस्तिनापुर पहुंचे ।
अर्जुन इस घटनाक्रम से पीड़ित थे। तब वेद व्यास जी कहते हैं कि हे अर्जुन यह समय का ही बल है जो तेरे बाणों को बेअसर कर गये। महाभारत के महायुद्ध में भी यही धनुष था और यही बाण थे और आज भी वही धनुष और वही बाण है । उस समय तेरे सलाहकार श्री कृष्ण जी थे लेकिन अब वह तेरे सलाहकार नहीं रहे।
संतजन कहते हैं कि हे मानव स्थान बल और काल बल ही समय को बलवान बना जाते हैं और यही कमजोर कर जाते हैं। यह दोनों सदा अनुकूल नहीं रहते हैं। काल बल के कारण रात के समय उल्लू कोंऐ को मार देता है और वही दिन के समय कौआ उल्लू को मार देता है। स्थान बल के कारण पानी में मगरमच्छ हाथी को मार देता है और जमीन पर मगरमच्छ हो तो हाथी उसे मार देता है । स्थान और काल बल के कारण ही समय को बलवान कहा जाता है।
इसलिए हे मानव अनुकूलताएं सदा नहीं मिलतीं चाहें कोई भी कितना भी बलवान ही क्यों ना हो। इसलिए अनुकूल समय का लाभ उठा और प्रतिकूल समय से जूझ मत। संयमता गंभीरता बनाये रख तथा परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल अन्यथा अर्जुन भी वही था और बाण भी वहीं थे जो श्रेष्ठ होने के बावजूद भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध नहीं कर सका।