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अजमेर। वो सदा बहता हुआ पानी जो सदियों से आज तक मानव सभ्यता ओर संस्कृति को पोषित कर रहा है और एक विस्तृत भू भाग पर बह कर जीवन की कई आवश्यकताओं के लिए सदा काम आता है। हर मौसम में यह बहता हुआ पानी जो स्वच्छ शीतल निर्मल है। नहाने धोने पीने खेती बाड़ी उद्योग धंधों में सदा से आज तक हर आवश्यकता की पूर्ति कर रहा है निश्चित रूप से वो हमारे एक सहारे की तरह खडा है जो श्रद्धा के देवों के स्थान पर जमीनी हकीकत यह देवो की तरह काम आ रहा है। इस कारण इन सदा बहार बहनें वाली नदियों को देव कह दिया जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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धर्म व आस्था के क्षेत्र ने इन्हे कई रंगों में रंग कर इस के साथ कई आसमां के देवों से रिश्ते जोडकर तथा उसी अनुरूप व्यव्हार करने की सलाह धर्म ग्रंथो में दी। जीवित ही नहीं मृत देह ओर उसके बाद भी उसके रिश्ते इन जमीन के साक्षात देवो से जोड़ कर मोक्ष तक की एक व्यवस्था बताई। इस पूरी ही कवायद में केवल जमीन के साक्षात कल्याण कारी देव के प्रति आस्था और विश्वास बनायें रखने निर्देश दिए। इस मे कुछ अति ने इन्हे अंधविश्वासों से भी जोड दिया ओर पीढ़ी दर पीढ़ी यह सब बाते सामाजिक संरचना के ढांचे में जुड गयी ओर लकीर के फकीर बन गयीं।
विश्व के विस्तृत भू भाग पर बहने वाली सदा बहार नदियों ने देवों की तरह जीव व जगत को पोषित किया ओर लगातार कर रहीं हैं। हमारे पूर्वजों की , हमारी तथा हमारी भावी पीढ़ी की भी कई आवश्यकता की पूर्ति इन्ही हुई हो रही हैं और आगे भी होंगी। इस कारण धार्मिक मान्यताओं में ये नदियाँ देव कहाने लगीं और वास्तव में यह सदा बहार बहते हुए पानी के कल्याण कारी स्त्रोत है।
इन्ही मान्यताओ में सदा बहार बहने वाली हमारे देश की गंगा नदी है जो सभी के लिए सदियों से आज तक स्वच्छ निर्मल जल का महत्वपूर्ण जल स्त्रोत है वो मां की तरह षोषित कर रहीं हैं इसलिए वो गंगा मा कहीं जातीं हैं।
संत जन कहते है कि हे मानव तू सदा बहार बहने वाले जल को सुरक्षित ओर संरक्षित कर। क्यो कि बिना जल के कल नहीं है। इसे धर्म, भले ही मत मान पर, मानव धर्म के लिए जल के महत्व के लिए कार्य कर।
इसलिए हे मानव जीते जी इस मानव धर्म और कर्म के लिए इस जल को सुरक्षित ओर संरक्षण के लिए कार्य कर तथा इसकी शुद्धता बनाये रख तो वर्तमान व भावी पीढ़ी के लिए यह एक कल्याण कारी कदम होगा। भले ही मरने के बाद तूझे मोक्ष मिले ना मिले पर तू वर्तमान में दुखहर्ता बन जायेगा।