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पासे ऊपर वाला डाले, उसके खेल वो ही जाने

न्यूज नजर : इस जगत में कब, क्या, क्यों और कैसे होगा इसकी थाह पाना नामुमकिन होता है। भले ही ज्ञान, विज्ञान, कला और विद्या अपने अपने अनुमानों से इसकी पूर्व घोषणा कर दे।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

अगर ऐसा संभव होता तो इस जगत में कोई हादसा ना होता और ना ही कोई बेबसी के आंसू बहाता तथा अपने भाग्य को कोसते हुए परेशान होता। आकस्मिक घटनाक्रम की बात तो दूर है लेकिन प्रायोजित होने वाले हर खेल कार्यक्रम व घटना का अंतिम सत्य क्या होगा यह सब भविष्य के गर्भ में ही छिपा रहता है।

अदृश्य शक्ति के अदृश्य देव बिना किसी घोषणा के अपना अंतिम परिणाम जारी कर मानव जगत को यह साबित कर देते हैं कि हे मानव, इस जगत को उत्पन्न मैंने ही किया है और इसे मैं ही अपने अनुसार चलाता हूं।

कभी कभी जब मानव के ज्ञान की पूर्व घोषित बातें सत्य हो जाती हैं तो मानव भाग्य को पढने वाला विद्वान् होने के प्रमाण पत्र समाज से लेकर अपने आप को स्थापित कर भविष्य दृष्टा बन जाता है। अदृश्य शक्ति के अदृश्य देव की दुहाई देता हुआ लगातार इस धारा में बहता रहता है लेकिन सत्य क्या होगा वह इससे कोसों दूर होता है और प्रतिदिन के होने वाले देश व दुनिया के ही नहीं वरन् अपने घर में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान भी नहीं लगा सकता है।

सदियों से ऐसा ही होता हुआ आ रहा है और सदा ऐसा ही होता रहेगा। केवल शकूनि के अपने पासे ही अपने अनुसार परिणाम दे सकते हैं, वे भी तब जब वह अपने पासे खुद उछाले और अपनों के बीच ही खेल को खेले। दूसरों के साथ खेल में शकूनि के पासे मान्य नहीं होते हैं।

ऊपर बैठा बाजीगर दुनिया के यह खेल देख कर मुस्करा उठाता है और सोचता है कि यह तो ठीक हुआ कि मैंने मानव को दिव्य दृष्टि प्रदान नहीं की अन्यथा यह मेरे पासे का राज़ समझ कर उसके अनुसार ही पासे बना मेरी विरासत को भी चुनौती देने में नहीं चूकता। कब, क्या, क्यों और कैसे होगा यह सब कुछ मेरे ही अधीन है, फिर भी दुनिया का ज्ञान, विज्ञान अपने आप को बलवान समझ कर काम करता है और मेरे अस्तित्व को नजरअंदाज कर देता है और जब असफल हो जाता है तो वह मुझे खूब कोसता है।

नास्तिक तो मुझ पर भले ही विश्वास ना करें पर आस्तिक भी अपनी असफलता पर मुझसे मुंह मोड़ लेता है और अपनी श्रद्धा का मूल्य नहीं मिलने पर मुझे ठुकरा कर मेरे अस्तित्व को नकार देता है और कुछ कुछ फिर भी मेरे अधिकारों का सम्मान कर मुझसे प्रीति बनाए रखते हैं।

संतजन कहते है कि हे मानव, ऊपर बैठी अदृश्य शक्ति के अदृश्य देव के पासे उसके अपने ही होते हैं और वह कब, क्या, क्यों और कैसे करेगा यह सब वह ही जानता है। दुनिया का हर ज्ञान, विज्ञान, विद्याएं सभी इसे जानने के लिए भले ही कितनी भी आगे बढ गईं हों पर अगले पल क्या होगा इसका सत्य भी जानना नामुमकिन है। भले ही हम कैसे भी दावे कर ले।

हर दिन दुनिया में प्रकृति अपना नया खेल खेल रही है ओर विश्व स्तर पर हर तरह के घटनाक्रम रोज़ बिना किसी घोषणा के घट रहे हैं, बीमारियां जानलेवा बन रही उसका अनुमान भी नहीं हो पा रहा है।

इसलिए हे मानव भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है इसे जानने के लिए ज्यादा चिन्तित मत बन और वर्तमान के नुकसान की भरपाई करने के मार्ग बना ताकि भावी अनिष्ट की आशंका से बच सके ओर भविष्य के आधार को मजबूत बनाया जा सके।

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