नई दिल्ली/पुष्कर। देशभर में कार्तिक पूर्णिमा पर्व धूमधाम और श्रद्धा से मनाया गया। लोगों ने गंगा, पुष्कर सरोवर, सरयू नदी समेत अन्य पवित्र जल स्रोतों में स्नान कर पुण्य कमाया। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। आज के दिन तीर्थ स्नान व दान का विशेष महत्व है।
पुष्कर में सुबह से ही मंदिरों में भगवान की पूजा, हवन, यज्ञ व उपासना करने के लिए श्रध्दालुओं की भीड़ नजर आई। जगह-जगह मंदिरों में श्रद्धालु भजन-कीर्तन कर रहे थे। पवित्र सरोवर में महास्नान के लिए तड़के ही भीड़ लग गई। प्रशासन ने स्नान के लिए खास बंदोबस्त किए। गहरे पानी में लाल रंग की झंडियां लगाई गई।
धार्मिक मान्यता
आज के दिन सत्यनारायण की कथा भी सुनी जाती है। अन्न, धन व वस्त्र दान का भी विशेष महत्व है। यह दिन विष्णु भक्तों के लिए भी अहम है क्योंकि इस दिन संध्याकाल में भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्यावतार हुआ था।
वैज्ञानिक महत्व भी
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का वैज्ञानिक महत्व है। आज के दिन चंद्रमा की रोशनी का सबसे अधिक आकर्षण पानी में होता है। शरीर का अधिकतम भाग में पानी होता है। जब गंगा में स्नान करते हैं तो चंद्रमा के किरणों का प्रवेश शरीर के समस्त अंगों में पड़ता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
पौराणिक मान्यता
कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। इस दिन श्रद्धालु स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं ताकि उन्हें मनचाहे फल की प्राप्ति हो। इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान करना भी बहुत शुभ माना गया है।
इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
देव दिवाली की धूम
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन त्रिपुरा असुर का संहार भगवान शिव व विष्णु ने किया था। साथ ही मीन अवतार हुआ था। इसे पांच दिनों तक मनाया जाता है।
एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक लोग पूजा पाठ कर इसे मनाते हैं। इसे पंचम व्रत कहा जाता है। इसमें पंचगव्य ग्रहण किया जाता है। इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर सत्य नारायण स्वामी की पूजा का भी विधान है। गंगा घाटों, घरों व मंदिरों में लोग पूजा-पाठ करते हैं। इसे देव दीपावली के रुप में मनाया जाता है।