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ठंड भी अब गजब ढाने लगी 

न्यूज नजर : सर्द रातों में, कुदरत ठंड का कहर बरसाती हुयी कुछ बेदर्द सी दिखाई देती है और बर्फ की चादर ओढ़े समूचे पेड़ पोधे , झील व नदियों को जमा कर अपना साम्राज्य स्थापित करती हुयी नज़र आती है। गिरता हुआ पाला कोहरा और हाड मांस को गलाती ठंड यह सब कुछ उसकी विरासत

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

है। उस की इस विरासत को वो जबरन सबके नाम करना चाहतीं है और कहतीं हैं कि हे मानव तू डर मत ओर मेरे आगोश मे आ जा। मै तूझे इस दुनिया से मुक्त कर दूंगी।

एक रूहानियत का फकीर अपने हाथ में खप्पर लेकर उस कुदरत की बेदर्द ठंड को कहता है कि रहम कर ओर अपने रूप को बदल। तू गरीबों की हमदर्द बन कर थोड़ी मुस्करा। तेरे दर को छोड़ कर ये दीवाने कहां जायेंगे। तेरे सिवाय कोई रास्ता दिखता नहीं है। अगर तू गरीबों की हमदर्द नहीं बनीं तो सब तेरे दर पर पटक के सिर को मर जायेंगे।
      हे कुदरत ! तुम रहम कर। मेरे मालिक कुछ मेहरबान ओर कुछ दयावान को भेज ओर ताकि वे अपने को इस कहर बरसाती हुयी कुछ बेदर्द सी हुई ठंड से और खुलें आसमां के नीचे अपने आप को बचा सके। रेन बसेरा भी ऐसे बनवा की वो इस ठंड को रोक सके ,नहीं तो ये रेन बसेरे खुद ठंड खा जायेंगे और कांपते हुए गरीब इस जहां से उठ जायेंगे।
         हे अलाव ! तू आग की गर्म लौ को बढा। क्योंकि हे !आग अब तू ही गरीबों की हमदर्द बनेंगी उनको ठंड से राहत देकर नहीं तो ये राह से हट जायेंगे और रेन बसेरे ख़ाली हो जायेंगे।
         संत जन कहते हैं कि हे मानव दुनिया में कुछ लोग दिल के गरीब होते हैं तो कुछ लोग दिमाग़ के गरीब होते हैं तो कुछ हालातों से गरीब होते हैं। दिमाग का गरीब अपनी सोच को बड़ी नहीं रखता तो दिल का गरीब कुछ करना नहीं चाहता तथा हालातों का गरीब बहुत कुछ करने के बाद भी हासिल कर पाता है। दिमाग का गरीब अवसर मिलने पर स्वार्थी बन कर लाभ उठाता है तो दिल का गरीब अवसर मिलने पर मोन रह कर सब कुछ ले जाता है ओर हालातों के गरीब को अवसर मिले तो वो अन्य अपनें जैसों को भी लाभ दिलाकर बराबर हो जाता है।
         इसलिये हे मानव दिमाग दिल और हालात ही विकास का पैमाना होते हैं। जब ये तीनों सकारात्मक हो तो विकास कुछ भी करने को बचता नहीं है और सभी विकसित हो जाते हैं। लेकिन इन तीनों मे नकारात्मक संबध हो तो विकास एक पायदान नीचे कसक जाता है और वो अर्द्ध विकसित ही रह जाता है। दिमाग दिल और हालात यह सब एक ही चश्मे से नहीं देखे जाते हैं। आखिर परमात्मा ही दुनिया में परम बलवान होता है तथा वही वक्त ओर हालातों से सबकी लाज़ बचाता।

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