न्यूज नजर : पौष मास की ठंड के लिए एक कहावत बनी हुई है कि पौष ” खालडी कौस ” अर्थात यह ठंड शरीर की चमड़ी को खिचने जैसी महसूस होती है।
इस मास में धनु राशि के मूल नक्षत्र में प्रवेश हो कर तेजस्वी सूर्य भले ही कितना भी दम खम दिखाता रहे और तमतमाता रहे पर ग्रहो के राजा सूर्य को यह पौष मास की ठंड ले बैठती है, सर्वत्र अपना कहर बरसा कर जन मानस को आगाह कर देती हैं और संदेश देती हैं कि हे मानव संभल कर रहना मुझे पौष की ठंड कहते हैं। मेरी रात पौष की रात बन कर जन जीवन को उजाड़ देती हैं।
चारों तरफ सन्नाटा छा रहा था और एक युवक अपने मित्र के गांव में रात्रि सत्संग में जा रहा था। कहर ढहाती ठंड में वो काँपता हुआ चला जा रहा था। जैसे तैसे वो गाँव के नजदीक आया तो सड़क के एक ओर खुले मैदान में आग जलती हुई दिखी। उसे रहा ना गया ओर वो रूक कर आग से तपने लग गया।
आग की आंच ज्यादा ना थी, वो बुझने वालीं थीं तो भी वो तपता रहा। थोड़ी राहत मिली ओर वो गाँव में चला गया और सत्संग का आनंद लेने लग गया।
सत्संग समाप्ति के बाद वो सो गया तो उसे एक सपना दिखा। एक बूढ़ी औरत उसे कह रही हैं कि बेटा तुझे ठंड तो नहीं लग रही हैं। तब वो युवक बोला माता जी ठंड तो मुझे रास्ते में आते हुए बहुत लग रही थी लेकिन मेरी आधी ठंड तो रास्ते में आ रहा था जब ही दूर हो गयी थी क्योकि रास्ते में आग जली हुई मिल गई। मैं ठंड के कांप रहा था इसलिए तपने के लिए बैठ गया। लेकिन आग थोड़ी देर बाद बुझने से मेरी आधी ठंड शरीर में ही रह गयी। अब में रजाई ओढ कर सो गया हूं। आधी ठंड अब खत्म हो जायेगी।
बूढ़ी औरत बोली हे बेटा मैं तेरी मदद नहीं कर सकी। मुझे माफ करना। जब तू सड़क से नीचे उतर कर तपने के लिए आया था तो मेरी लाश पूरी जल चुकी थी और थोड़े से अंगारे और दाग़ की लकड़ियां ही चल रही थी। जब तू तपने लगा तो मुझे बहुत दया आयी। लेकिन मैं असहाय थी और तेरी मदद नहीं कर सकी। तुझे यू काँपता देख मेरी आत्मा से रहा ना गया और तेरे पीछे पीछे चली आ गयी। आत्मा का नाम सुनते ही उस युवक की नींद उड़ गई और वो डर से कांपने लगा। सारा सपना उसकी आंखो में घूमता रहा।
सुबह होते ही उस युवक ने अपने मित्र को सपने की बात बताई। तब मित्र ने कहा भैया तुम वास्तव में तपे थे क्या। तब उस युवक ने कहा मित्र हां। तब मित्र ने कहा भैया वो तो शमशान थे। वहां टीन शेड नहीं होने के कारण तुम जान ना सके कि वो शमशान है। यह सुनते ही उस युवक के होश उड़ गये ।
संत जन कहते हैं कि हे मानव भले ही इस दुनिया में भूत प्रेत आत्मा आदि का कोई अस्तित्व विज्ञान नहीं मानता फ़िर भी भूत प्रेत आत्मा आदि जैसी शक्तियां आस्था मान्यता और विश्वास के माध्यम से अपना प्रवेश करती हैं और अपना अस्तित्व सभ्यता और संस्कृति में कायम रखती हैं। भले ही यह सब अंधविश्वास है पर इस कहर ढाती ठंड में आत्मा भी लोगों के लिए चिंतित होती हैं कि येन केन प्रकारेण मानव को राहत मिले और यही राहत व्यक्ति के जीवन को सुरक्षित रखने वाली होती हैं।
इसलिए हे मानव भले ही भूत प्रेत आत्मा में विश्वास मत रख लेकिन पौष की इस ठंड से बचाव ही कर तथा इस ठंड पर तू लठ्ठ मत बरसा वरन इस ठंड से लोगों को बचा। यथा संभव मदद कर क्योंकि आखिर तेरे शरीर में जीवित आत्मा बैठी है।