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टिकवा जब जब मंगइली रे…

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सोनपुर मेले आयोजित डांस कम्पीटीशन में शामिल गर्ल्स।

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सोनपुर मेले में उभर रहा आंचलिक संस्कृतियों का मोहक रंग

सोनपुर। एशिया फेम के हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में देश के भिन्न-भिन्न आंचलिक संस्कृतियों और लोक कलाओं का बड़ा ही मोहक रंग उभर रहा है। कहीं भोजपुरी तो कहीं मिथिला और कहीं मगध तो कहीं अवधि भाषा में सरकार की विभिन्न योजनाओं की विशेषताओं का संदेश दी जा रही है। इसका माध्यम है नुक्कड़ नाटक व लोक संस्कृति से जुड़े गीत संगीत एवं नृत्य।

उधर, पर्यटन विभाग के मुख्य पंडाल के रंग मंच पर शाम ढलते ही जहां भारतीय संगीत और नृत्य की समृद्ध परंपरा जीवंत हो उठती है वहीं दिवाकाल सत्र के कार्यक्रमों के दौरान सरकार की अनकों कल्याणकारी योजनाओं की खूबियों के प्रति आंचलिक गीतों तथा लघु नाटकों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

इसी क्रम में शुक्रवार को मेला के कृषि प्रदर्शनी में योजनाओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पटना के मिशन सक्शेस से जुड़े कलाकारों ने जट-जटीन के संवाद को दर्शाते हुए टिकवा जब जब मंगइली रे जटवा टिकवा काहे न लैले रे, मोरा बाली उमरिया रे जटवा नथिया काहे न लैले रे…प्रस्तुत कर कलाकार पूजा भाष्कर तथा आलोक कुमार ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया । नव भारत फर्टिलाईजर लि. के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन रत्ना झा ने किया । 

इसके बाद कलाकार विकास, मन्नु, गौरव, बजरंगी एवं निराला जैसे कलाकारों ने कृषि योजनाओं, कृषि यंत्रों तथा मिट्टी जांच आदि विषयों के प्रति जागो भाई जागो लघु नाटक का मंचन करते हुए किसानों को कृषि के वैज्ञानिक तौर तरीकों से अवगत कराया। इसके उपरांत नव भारत के अक्षय कुमार सेठी तथा मनीष कुमार ने किसानों को सही समय पर कैसे और किस अनुपात में खाद का प्रयोग किया जाये इसकी जानकारी दी।

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उधर, मेला की सरकारी अवधि पूरी होने में महज तीन दिन शेष रह गए हैं। इस बात से बेखबर मेला अपनी सुंदरता के उचाईयों को छू रहा है। मेले में भीड़ लगातार बढ़ती ही जा रही है। कड़ाके की ठंड और घना कुहासा भी इस जन सैलाब के उत्साह को रोकने में असफल साबित हो रहा है।

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