न्यूज नजर
*
सभी देवी देवताओं को समाहित करने वाली गौमाता के आराधना के पर्व गोपाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। कान्हा जी का आशीर्वाद सदा आपके साथ बना रहे।कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। गाय को गौमाता भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। गोपाष्टमी पर गौ, ग्वाल और कृष्ण को पूजने का महत्व है।
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत धारण किया था। आठवें दिन इंद्र अहंकार रहित श्रीकृष्ण की शरण में आए तथा क्षमायाचना की। उसके बाद कामधेनु ने भगवान कृष्ण का अभिषेक किया। इसी दिन से भगवान कृष्ण गायों की रक्षा करने के कारण गोविन्द नाम से पुकारे जाने लगे।
कैसे मनाएं यह पर्व?
* कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन प्रात:काल में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान आदि करते हैं।
* प्रात:काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौमाता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाया जाता है।
* इस दिन बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है।
* प्रात:काल में ही धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और धूप-दीप से आरती उतारी जाती है।
* इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को उपहार आदि देकर उनका भी पूजन करते हैं।
* गायों को खूब सजाया जाता है।
* इसके बाद गाय को चारा आदि डालकर परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं।
* संध्याकाल में गायों के जंगल से वापस लौटने पर उनके चरणों को धोकर तिलक लगाना चाहिए।
ऐसी आस्था है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है।
क्या आप जानते हैं, गाय के बारे में 10 शुभ बातें:
1. ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
2. यदि यात्रा के प्रारंभ में गाय सामने आ जाए अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने आ जाए तो यात्रा सफल होती है।
3. जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तुदोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।
4. जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो, शुक्र की दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव (6, 8, 12)- में स्थित हो तो प्रात:काल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की गाय को खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधी कुदोष स्वत: समाप्त हो जाता है।
5. पितृदोष से मुक्ति- सूर्य, चंद्र, मंगल या शुक्र की युति राहु से हो तो पितृदोष होता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य का संबंध पिता से एवं मंगल का संबंध रक्त से होने के कारण सूर्य यदि शनि, राहु या केतु के साथ स्थित हो या दृष्टि संबंध हो तथा मंगल की युति राहु या केतु से हो तो पितृदोष होता है। इस दोष से जीवन संघर्षमय बन जाता है। यदि पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है।
6. किसी की जन्मपत्री में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ स्थिति में हो अथवा केतु के द्वारा परेशानियां आ रही हों तो गाय में सूर्य-केतु नाड़ी में होने के फलस्वरूप गाय की पूजा करनी चाहिए, दोष समाप्त होंगे।
7. यदि रास्ते में जाते समय गोमाता आती हुई दिखाई दें तो उन्हें अपने दाहिने से जाने देना चाहिए, यात्रा सफल होगी।
8. यदि बुरे स्वप्न दिखाई दें तो मनुष्य गोमाता का नाम लें, बुरे स्वप्न दिखने बंद हो जाएंगे।
9. गाय के घी का एक नाम आयु भी है- ‘आयुर्वै घृतम्’। अत: गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है। हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें तथा गाय की पूजा करें।
10. देशी गाय की पीठ पर जो ककुद् (कूबड़) होता है, वह ‘बृहस्पति’ है। अत: जन्म पत्रिका में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हों या अशुभ स्थिति में हों तो देशी गाय के इस बृहस्पति भाग एवं शिवलिंगरूपी ककुद् के दर्शन करने चाहिए। गुड़ तथा चने की दाल रखकर गाय को रोटी भी दें। गोमाता के नेत्रों में प्रकाश स्वरूप भगवान सूर्य तथा ज्योत्स्ना के अधिष्ठाता चन्द्रदेव का निवास होता है। जन्मपत्री में सूर्य-चन्द्र कमजोर हो तो गोनेत्र के दर्शन करें, लाभ होगा।
गोपाष्टमी तिथि व मुहूर्त
गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ – 4 नवंबर को सूर्यादय के पूर्व ही प्रारंभ हो जाएगी। गोपाष्टमी तिथि का समापन – 5 नवंबर को प्रातः 4 बजकर 57 मिनट पर होगा। गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा करने वालों से भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं।*