भोपाल/इंदौर। 28 जनवरी से पांच फरवरी तक आ रही गुप्त नवरात्रि में इस बार कई लोगों को पूजा-अर्चना करने से अनेक फल प्राप्त होंगे।
खासतौर पर जिनका मन अस्थिर है वे देवी की आराधना करेंगे तो उनके मन को शांति मिलेगी। साथ ही इस दौरान किए गए सभी कार्य विशेष फलदायी रहेंगे। गुप्त नवरात्रि साधकों की मंत्र सिद्धि के लिए उपयोग मानी गई है।
पंडितों का कहना है कि 28 जनवरी से 5 फरवरी तक नवरात्रि में इस बार सुस्थिर योग बन रहा है जो मन के भटकाव को समाप्त कर चित्त को शांत करने वाला है। इसके साथ सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग के अलावा श्रवण नक्षत्र का चतुग्र्रही योग बनेगा जो विशेष फलदायी रहेगा।
आषाढ़ और माघ की गुप्त नवरात्रि में पूजा, अनुष्ठान का भी विशेष महत्व है। इस बार जो गुप्त नवरात्र प्रारंभ हो रहे है उसमें कई विशेष फल प्राप्त होंगे। खासतौर पर जिनका मन अस्थिर है वे देवी मां की पूजा अर्चना करेंगे तो मन को शांति मिलेगी।
10 महाविधाओं की होती है पूजा गुप्त
नवरात्र में 10 महाविधाओं की साधना की जाती है जिनमें महाकाली, तारादेवी, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमाला, त्रिपुरभैरवी, मां धूमावती, मावंगी, कमलादेवी एवं बंग्लामुखी पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
राशियों पर प्रभाव
मेष : धर्म, कर्म में रूचि, तीर्थ यात्रा के योग, वृषभ : शारीरिक, मानसिक, आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव
मिथुन : यात्रा अधिक, परिश्रम, लाभ कम
कर्क : आर्थिक स्थिति में सुधार
सिंह : संतान संबंधी समस्या
कन्या : शनि की ढैय्या से परिवार में परेशानी
तुला : शनि की साढ़ेसाती उतरने से आरोग्यता, आर्थिक लाभ
वृश्चिक : आखिर की शनि की ढैय्या कार्य से लाभ-उन्नति
धनु : शनि की बीच की साढ़ेसाती से रोग, भय
मकर : शनि की साढ़ेसाती से कष्ट
कुंभ : शुभ-लाभ, कम समय में उन्नति
मीन : आर्थिक विकास में अस्थिरता।
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