अहमदाबाद। आदिशक्ति मां अंबे और दुर्गा की आराधना तथा अदभुत गरबाें का लोकप्रिय पर्व नवरात्र गुजरात के घर-घर में घट स्थापन के साथ बुधवार से शुरू हो गया।
राजेश भाई अंबानी ने बताया कि राज्य के लोग अपने-अपने घरों में नवरात्र के पहले दिन घट स्थापन झवेरा वावी ( सात धान की बुवाई करके ) झवेरा की देवी रूप मे सुबह पूजा-अर्चना आैर आरती करते हैं। नौ दिनों तक रात में घरों के आंगन में गरबा करते हैं। अष्टमी को चंडी पाठ देवी स्तुती, हवन आयोजित किए जाते हैं।
नवरात्र के दौरान बालक-बालिकाएं, युवक-युवतियां, वृद्ध-वृद्धा खेलैयाओं (गरबा खेलने वालों) के चेहरे पर भक्ति, शक्ति और मस्ती नौ दिनों तक देखने को मिलेगी। शाम होते ही मां पावा ते गढ़ थी उतर्या मां महाकाली रे और “कुमकुम ना पगला पडया, माडी तारा हेत भर्या जैसे गरबों को गाते हुए गरबा खेलैया झूम उठेंगे। कई लोग नौ दिन व्रत करते हैं। नवमी के दिन लोग गाते, ढोल ताशे बजाते, गरबा करते हुए घटस्थापन का नजदीक के मंदिर में विसर्जन करने जाते हैं।
नवरात्र पर्व मां अंबे दुर्गा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने तथा युवा दिलों में मौज-मस्ती के साथ गराबा-डांडिया खेलने और अपनी संस्कृति से जुड़ने का सुनहरा अवसर भी है। राज्य में आज से नौ दिनों तक माता का पंडाल रोशनी से सजाकर युवक-युवतियां पारंपरिक वस्त्र जैसे कि कुर्ता-धोती, कोटी, घाघरा (चणिया)-चोली, कांच और कौड़ियां जड़ी पोशाक पहन कर पारंपरिक नृत्य डांडिया और ‘सनेडो सनेडो लाल लाल सनेडो’, ‘अंबा आवो तो रमीये’ गाते हुए गरबा खेलते दिखाई देंगे।