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कुम्भ मेला क्या है, जानिए इतिहास और क्या है मान्यता

 

न्यूज नजर : कुम्भ मेला या कुम्भ पर्व हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व हैं। जिसमे लाखों-करोडो श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग,उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। यह मेला मकर संक्रांतिके दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमावृश्चिक राशि में और मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस योग को “कुम्भ स्नान-योग” कहते हैं और इस दिन को मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति अच्छे से हो जाती है।


कुम्भ मेले का इतिहास

→ आप को बता दें कि कुम्भ मेले का इतिहास लगभग 850 सालपुराना हैं| ऐसा माना जाता हैं कि आदि शंकराचार्य ने इस मेले की शुरुआत करी थी| पर कुछ पुरानी कथाओं के अनुसार इसकी शुरुआत समुन्द्र मंथन से शुरू हुई थी|

→ समुन्द्र मंथन में निकले अमृत का  कलश हरिद्वारइलाहबादउज्जैन और नासिक के स्थानों पर ही गिरा था। इसीलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेला हर तीन बरस बाद मनाया जाता  है। 12 साल बाद यह मेला अपने पहले स्थान पर वापस पहुंचता है| जबकि कुछ दस्तावेज बताते हैं कि कुंभ मेला 525 बीसी में शुरू हुआ था।


महाकुंभ के संबंध में मान्यता

शास्त्रों में बताया गया है कि पृथ्वी का एक वर्ष देवताओं का दिन होता है, इसलिए हर बारह वर्ष पर एक स्थान पर पुनः कुंभ का आयोजन होता है। देवताओं का बारह वर्ष पृथ्वी लोक के 144 वर्ष के बाद आता है| ऐसी मान्यता है कि 144 वर्ष के बाद स्वर्ग में भी कुंभ का आयोजन होता है इसलिए उस वर्ष पृथ्वी पर महाकुंभ का अयोजन होता है। महाकुंभ के लिए निर्धारित स्थान प्रयाग को माना गया है।

किस तरह का होगा 2019 में कुम्भ का आगमन

कुम्भ मेला 2019 का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है, जो जनवरी 15 से मार्च 04 तक चलेगा|

2019 कुंंभ मेले : जाने शाही स्नान की तारीख-

  • 14-15 जनवरी 2019: मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान)
  • 21 जनवरी 2019: पौष पूर्णिमा
  • 31 जनवरी 2019: पौष एकादशी स्नान
  • 04 फरवरी 2019: मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान, दूसरा शाही स्नान)
  • 10 फरवरी 2019: बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
  • 16 फरवरी 2019: माघी एकादशी
  • 1 9 फरवरी 2019: माघी पूर्णिमा
  • 04 मार्च 2019: महा शिवरात्री

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