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काल गुप्त शक्तियों के संचय की ओर बढ़ने लगा है…

 न्यूज नजर । काल बल जब अपने पांसे फेंकने लगता है तो वह बिखरी हुई शक्तियों को एकजुट कर सभी को सामूहिक शक्ति का पुंज बना देता है और मौन रह कर हर तरह की शक्तियों का संचय करता है तथा बदलते हुए ऋतु चक्र की नो अहोरात्र में पूर्ण शक्तिशाली बनकर नई ऋतु को बंसत भेंट कर बंसत ऋतु के स्वागत में बैठा रहता है।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

प्रकृति का यह बहुत ही सुन्दर संतुलन होता है जिसमें कहर ढाती हुई ठंड अपने घुटने टेक देतीं हैं और बदलाव की बयार देख कर हवाएं भी सुहानी बनने लग जाती है और हर तरह के प्राकृतिक प्रकोप चाह कर भी अपना दुष्परिणाम नहीं दे पाते हैं। इस शिशिर में बसंत रूपी नायिका बचती हुई इधर उधर भाग रही है और अपनी शक्ति के बाणों को संग्रहित कर रही है और शिशिर के माध मास में गुप्त शक्तियों के संचय की योजना बनाने में जुटी हुई हैं।

मकर राशि में भ्रमण करता हुआ सूर्य बिना अवरोध के उत्तरायन की ओर बढता जा रहा है और माध मास की अमावस्या को पार करने के बाद गुप्त नवरात्रा का आगाज़ करता है अर्थात वह संदेश देता है कि हे मानव यह नौ दिन शरीर की गुप्त ऊर्जा को संचित करने करने का काल है ताकि आने वाली ऋतु परिवर्तन की परिस्थितियों से बचता रह ओर मजबूत बन कर अपना अस्तित्व कायम रख।

हे मानव, मेरे प्राकृतिक न्याय सिद्धांत ही सदा स्थिर रहते हैं इस कारण मेरी हर चीज स्वतंत्र है सभी के लिए। मानव के द्वारा बनाए गए हर सिद्धांत किसी ना किसी काल में टूट जाते हैं इस कारण पृथ्वी पर सामाजिक संघर्ष जन्म लेते हैं जबकि मेरे यहां संघर्ष तो एक नुमाईश में बंद पडे खिलौने की तरह ही होते हैं।

संत जन कहते है कि हे मानव, प्रकृति अपनी व्यवस्था को अपने ही अनुसार बड़ी संतुलित हो कर चलाती है और मानव को संदेश देती है कि हे मानव व्यवस्था चाहे किसी भी क्षेत्र की क्यो ना हो वह सबके लिए संतुलित रहनी चाहिए और यह ऐसा इसलिए भी होता है कि मानव अपनी सुविधा और अपनी मर्जी के अनुसार हर सिद्धांत को लागू करने की सोचता है। अगर वह ज्यादा कस दी गई तो वह टूट जाती है और समाज संघर्ष पर ऊतारू हो जाता है और अगर ढीली भी छोड़ दी तो फ़िर व्यवस्था का दम घुटने लग जाता है। संतुलित व्यवस्था ही समाज को प्रेम एकता के घागे में बांधे रखती है।

इसलिए हे मानव, तू भले ही तू घर का मुखिया है और हर मामलों में तू परिवार में अपनी ही यदि हुकूमत चलाता रहेगा तो एक दिन परिवार के कई लोग आपस मे मिल कर घर को संघर्ष और टूटने के कगार पर ला देंगे। इसलिए हे मानव अपनी प्रस्थिति के अनुसार ही अपनी भूमिका अदा कर और घर में प्रेम एकता बढा। भले ही तू कुछ काल के लिए त्याग कर। तेरा त्याग ही तेरे मक़सद को कामयाब करेगा।

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