वाराणसी। धर्म नगरी वाराणसी में विधानसभा चुनाव के बाद अब भारतीय नववर्ष और बासंतिक नवरात्र की तैयारियों में लोग जुट गए हैं। घरों के साथ देवी मंदिरों में भी नवरात्र की तैयारियों में साफ सफाई शुरू हो गयी है। वहीं सामाजिक संगठनों के साथ हिन्दुवादी संगठन सुबे में योगी सरकार के गठन के बाद भारतीय नववर्ष के पहले दिन को भव्य बनाने के लिए तैयार है।
नगर के जाने माने ज्योतिषविद डॉ. राजकिशोर पांडेय ने बताया कि वासंतिक नवरात्र इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात् 29 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। नवरात्र पांच अप्रैल रामनवमी तक चलेगा।
उन्होंने बताया कि इस बार बासंतिक नवरात्र आठ दिन का ही होगा। नवरात्र में द्वितीया तिथि की क्षय होने से ऐसा हो रहा है। डॉ. पांडेय ने बताया कि नवरात्र में नवमी तिथि पांच मई को दोपहर 12:51 बजे तक है। अत: हवन इसके पूर्व ही करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि मां का आगमन दिन बुधवार को नौका पर हो रहा है जिसका फल सर्व कल्याण व मंगलकारी है। वहीं गमन भी बुधवार को हाथी पर हो रहा है यह शुभ संकेत है। बताया कि नवरात्र में घट स्थापन का मुहूर्त 29 मार्च को सुबह 5:30 बजे से 6:30 के बीच है।
भारतीय नवसवंत्सर पर उदीयमान सूर्य का वैदिक मंत्रोच्चार और अर्घ्य से वाराणसी के उत्तर वाहिनी अर्धचन्द्राकार जान्हवीं के तट पर भारतीय नवसवंत्सर के पहले दिन उदीयमान सूर्य की किरणों का स्वागत वैदिक मंत्रोच्चार और अध्र्य देकर किया जाता है।
इस दौरान गंगा के प्रमुख तट पर घंट घड़ियाल के बीच वैदिक मंत्रोच्चार से सुबह-ए-बनारस की नैर्सगिक छंटा देखने देशी विदेशी पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों का हुजुम भी जुटता है।
वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री भी रहते है नवरात्र व्रत धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के नागरिक यूं तो वर्ष पर्यन्त अपने आराध्य बाबा भोलेनाथ के भक्ति और अनुराग में मस्त रहते हैं। लेकिन वर्ष में दो बार आदिशक्ति के प्रति भी जबरदस्त आस्था दिखाते हैं।
शारदीय और बासंतिक चैत्र नवरात्र में यह नजारा देखने को मिलता है। जब पूरा शहर मातृशक्ति के प्रति विनयवत हो जाता है। वह चाहे यहां का आम आदमी हो या फिर यहां के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। देश की खुशहाली और अमन चैन के लिए स्वयं प्रधानमंत्री भी नवरात्र में भगवती की आराधना के लिए पूरे नौ दिन तक व्रत रखते हैं।
नवरात्र में देवी के गौरी स्वरूप के दर्शन पूजन का है विधान बासंतिक चैत्र नवरात्र में आदि शक्ति के गौरी स्वरूप के दर्शन पूजन का काशी में विधान है। भगवती के आदि शक्ति के दोनों स्वरूपों का दर्शन पूजन कर आस्थावान उनके प्रति श्रद्धा दिखाते हैं।
बाबा की नगरी में बासंतिक चैत्र नवरात्र में पहले दिन आदि शक्ति के गौरी स्वरूप मुख निर्मालिका गौरी और शक्ति स्वरूपा जगतजनी शैलपुत्री के दर्शन पूजन का विधान है। इनका मंदिर गायघाट और अलईपुर में है।